रात चांद को देखा तो कोई याद आ गया
मेरी यादों में फिर से मेरा वो चांद आ गया।
कहना था लेकिन जो भूल गया तेरे सामने
वो सब तो तेरे जाने के बाद याद आ गया।
इश्क है तुझसे तो फिर कोई तगाफुल कैसा
यही सोच लेकर तेरे आगे फरियाद आ गया।
तेरे बाद मैं होता भी कुछ और तो कैसे होता
तेरी मोहब्बत में देखो होकर बर्बाद आ गया।
बेड़ियां तो बहुत सी थी जमाने भर की लेकिन
तेरे खातिर ही होकर सब से आज़ाद आ गया।
Dr ManishKumar Mishra
Tashkent, Uzbekistan
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