Monday, 24 August 2015

बनारसी


न जान न पहचान
आप भले हों
पूरी तरह अनजान
मगर बनारसी
साध ही लेगा
आप से
सीधा संवाद ।
यह बनारस की
ख़ासियत है
बनारस
अपनाता है
हर किसी को
बिना किसी भेद भाव के ।
बनारसी भी
इसी अपनेपन की
संस्कृति से
इसकी जड़ों से जुड़े हैं
सो जोड़ना
इनकी आदत में शामिल है ।
खिलखिलाते
मुस्कुराते
पान चबाते
भाँग छानते
ये मिल जायेंगें
घाट पर,दूकान पर
या कि
सरे राह ।
गरियाते हुए
गुरु- गुरु बुलाते हुए
बड़की -बड़की
बतियाते हुए
और देते हुए चुनौती
हर
आम-ओ-ख़ास को ।
ये बनारसी
बकैती के महागुरु
जहाँ मिलें वहीँ शुरू
हर विषय के ज्ञाता
इन्हें सबकुछ है आता
यह भ्रम ही
इन्हें ब्रह्मा बनाये हुए है ।
लगे रहो गुरु -
ई बनारस है
यहाँ कंठ से लंठ
कोई नहीं
सब को
नीलकंठ का आशीष है
बनारसी आदमी
सब पर बीस है ।
मनीष कुमार
BHU

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...