यादों के साये में हकीकत भुलाना .
ग़मों की खलिश और खिलखिलाना ,
खिलती फिजाए और मन में तपिश है ,
गैरों की बाँहों में फिर भी कशिश है /
सोचा कहा था कहानी बनेगी ,हकीकत ही मेरी बेगानी बनेगी :
महकी सदायें आखें भरेगी ;
मुश्करायेंगे आंसू तन्हाई मिलेगी ;
सोचा कहा था कहानी बनेगी ;
हकीकत ही मेरी बेगानी बनेगी ;
मोहब्बत ग़मों की रवानी बनेगी ;
सोचा कहा था कहानी बनेगी , हसरते ही मेरी दीवानी बनेगी ;
तेरे बिना जिंदगानी बनेगी , सोचा कहा था कहानी बनेगी /
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