ONLINE HINDI JOURNAL
Friday, 10 June 2011
टूट कर सवरने की आदत सी हो गयी है
टूट कर सवरने की फितरत हो गयी है ,
न जाने क्यों ,मुझे मोहब्बत हो गयी है .
जानता हूँ ,अब तुम किसी और की हो,
पर क्या करूँ, तुम्हारी आदत हो गयी है
तुम्हे भुला देने के ख़याल भर से,
अजीब सी बड़ी, मेरी हालत हो गयी है .
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
उज़्बेकिस्तान के साहित्यकार
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त
कथाकार अमरकांत : संवेदना और शिल्प कथाकार अमरकांत पर शोध प्रबंध अध्याय - 1 क) अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त ...
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..