Tuesday, 14 June 2011

एक वैसी ही लड़की

काश !!!
     एक शाम अकेले जाने-पहचाने रास्तों पर 
     अनजानी सी  मंजिल क़ि तरफ 
     बस समय काटने के लिए बढ़ते हुवे 
     देखता हूँ 
    एक वैसी ही लड़की 
    जैसी लड़की को मै कभी प्यार किया करता था .
     उसे पल भर का देखना 
    उन सब लम्हों को देखने जैसा था 
   जो मेरे     अंदर   तब  से  बसते  हैं  
   जब  से  उस  लड़की से  मुलाकात  हुई  थी  
 जिसे  मैं  प्यार  करता था 
 उस  एक पल  में   
जी  गया  अपना  सबसे  खूबसूरत  अतीत  
 और  शायद  भविष्य  भी  . 
 वर्तमान  तो  बस  तफरी  कर रहा था 
 लेकिन  उस  शाम की  याद  
 न  जाने  कितने  जख्मों  को हवा  दे  गयी  
 काश क़ि वो   लड़की ना  मिलती  . 

2 comments:

  1. यादें ..साथ देतीं हैं हमेशा ...
    खूबसूरत एहसास से भरी रचना ...!!

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  2. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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