फिर-फिर के मै फिर जाता हूँ
राह तेरी ही आता हूँ
ऐसा क्या है तुझमे
रोता गाता तुझमे ही रम जाता हूँ
फिर-फिर के मै फिर जाता हूँ
राह तेरी ही आता हूँ
जतन किया कितने ही
नमन किये कितने ही
याद तेरी नहीं जाती
फिर तुझ तक ही आ जाता हूँ
फिर-फिर के मै फिर जाता हूँ
राह तेरी ही आता हूँ
भाव विकल हो या हो तनहाई
खुशियों का मौसम या हो रुसवाई
हर लमहा तुम तक ही जाता
आसान हो रास्ता या कठिनाई
फिर-फिर के मै फिर जाता हूँ
राह तेरी ही आता हूँ
ख्वाबों में संसार बसाया
अच्छाई संग दौड़ लगाया
हर मंजिल पर तू ही दिखती
चाहे जिस ओर पैर बढाया
फिर-फिर के मै फिर जाता हूँ
राह तेरी ही आता हूँ
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