जोड़ कर हाँथ वे लुभाने लगे हैं
दिन चुनाव के करीब आने लगे हैं
गली के गुंडों को टिकट मिल गया है
तहजीब मे अब वे बतियाने लगे हैं
पार्टी का जो भी रूठा था अपना
उसको नेता बडे सब मनाने लगे हैं
अनुबंधों मे गठबंधन का
नेता लुफ्त उठाने लगे हैं
सियासत है यंहा कुछ पक्का नही
एक-दूजे के घर मे लोग झाकने लगे हैं
इसके पीछे भी साजिस है गहरी
जो मुफ्त मे वो पीने-पिलाने लगे हैं
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