बांग्ला भाषा का इतिहास
बांग्ला भाषा, जिसे हम बंगाली भाषा भी कहते हैं, भारत और बांग्लादेश की एक प्रमुख भाषा है। यह भाषा इंडो-आर्यन भाषा परिवार की सदस्य है और विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।
प्रारंभिक इतिहास:
बांग्ला भाषा का उद्भव प्राचीन भारत की प्राकृत भाषाओं से हुआ है। विशेष रूप से, इसे मगधी प्राकृत से विकसित माना जाता है, जो कि मौर्य काल में मगध क्षेत्र (वर्तमान बिहार) में बोली जाती थी। 7वीं से 10वीं शताब्दी के बीच, यह प्राकृत भाषा अपभ्रंश रूप में परिवर्तित हो गई, जिसे हम "अर्धमगधी अपभ्रंश" कहते हैं। यही अर्धमगधी अपभ्रंश आगे चलकर बांग्ला, असमिया और ओड़िया जैसी भाषाओं का आधार बना।
मध्यकालीन बांग्ला:
11वीं से 14वीं शताब्दी के दौरान बांग्ला भाषा ने एक स्वतंत्र रूप ग्रहण किया। उस समय के साहित्य में चार्यपद (10वीं-12वीं शताब्दी) को सबसे प्राचीन बांग्ला काव्य माना जाता है। यह बौद्ध सिद्धाचार्यों द्वारा रचित रहस्यमयी गीतों का संग्रह है।
मुस्लिम शासन और फारसी प्रभाव:
13वीं शताब्दी में बांग्ला क्षेत्र पर मुस्लिम शासकों का आगमन हुआ। इससे बांग्ला भाषा पर फारसी और अरबी शब्दों का प्रभाव पड़ा। उस काल में कई मुस्लिम कवियों ने बांग्ला में लेखन किया।
आधुनिक बांग्ला का विकास:
19वीं शताब्दी में बांग्ला भाषा का पुनर्जागरण हुआ, जिसे बंगाल पुनर्जागरण (Bengal Renaissance) कहते हैं। इस दौर में बांग्ला गद्य और साहित्य का आधुनिक रूप उभरा।
ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने बांग्ला भाषा में सरल गद्य लेखन की शुरुआत की। रवींद्रनाथ ठाकुर (Tagore) ने बांग्ला साहित्य को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी काव्य कृति गीतांजलि के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला।
वर्तमान स्थिति:
आज बांग्ला भाषा बांग्लादेश की राष्ट्रीय भाषा है और भारत के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम के कुछ भागों में प्रमुख भाषा के रूप में बोली जाती है। यह साहित्य, संगीत, सिनेमा और पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहद समृद्ध है।
संक्षेप में: बांग्ला भाषा एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध भाषा है, जिसने समय के साथ अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, परन्तु आज भी यह गर्व से अपने अस्तित्व को बनाए रखे हुए है।
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..