Friday, 8 October 2010

दिल कह रहा पुकार लूँ तुझको

दिल कह रहा पुकार लूँ तुझको
रेशमी बालों को सँवार दूँ फिर से
अहसास कहे है तेरी तनहाई
मौसम ने ली है फिर अंगडाई
ह्रदय भ्रमित है किस राह को जावे
क्या कर दे की प्यार को पावे
साँस रुकी है पल स्थिर है
नम आखें और ह्रदय व्यथित है 
 क्या कहूँ मै तुझको या चुप बैठूं
थामू मै धड़कन या सपनों को बहकूँ 
निहार रहा बंद आखों से तुझको 
आंख खोल क्या मै तुझको देखूं 
दुविधा है फैली चहुँ ओर 
किस बंधन से बंधी है डोर 
चाह ना छोड़े अपनी आशा 
तू ना बदले अपनी भाषा 
राह चल रही औ मै स्थिर हूँ 
भाव तेरा फिर भी काफ़िर हूँ ?
दिल कह रहा पुकार लूँ तुझको

रेशमी बालों को सँवार दूँ फिर से





 

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Tuesday, 5 October 2010

बहक जाये गर तमन्ना तेरी आगे बढकर गले लगा लेना

unशिकायत हो तो कह देना 
अरमानो की बगावत हो तो कह देना 
अदावतों से डरते नहीं सपने कभी 
दिल में चाहत हो तो कह देना 
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मोहब्बत में इंतजार भी मजा देता है 
दूरियों का करार भी मजा देता है 
पास आने को दिल झिझकता  है कभी
मिलने को मचलता हो दिल तो कह देना

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मेरी मोहब्बत से हो नफ़रत तो बड़ा लेना
मेरी चाहत से हो अदावत तो बचा  लेना 
जीत लूँगा हर अड़चन को अपनी मोहब्बत से 
बहके तमन्ना तो  कह देना    

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