मैं ख़ुद हास्य व्यंग कवि के रूप मे सालों से अपनी जेब गर्म करता रहा हूँ । मंचों की जोड़ -तोड़ से अच्छी तरह परचित भी हूँ । ऐसे मे आज कल एक सवाल तथाकथित साहित्यकार अक्सर पूछ लते हैं की हम हास्य कवि हैं या हास्यास्पद कवि ?
मुझे इस सवाल पे गुस्सा नही आता .मैं बड़ी शालीनता से कहता हूँ की हम हास्यास्पद कवि हैं.आखिर इस देश मे ऐसा बचा क्या है जो हास्यास्पद ना हो ? साहित्य सरोकारों से दूर कुछ आलोचकों की सराब और रंगीन हरी -हरी नोटों का मोहताज हो गया है । किताब छापना अब पैसो वालों का शौख हो गया है .पढ़ने वाले क्या पढ़ना चाहते हैं यह किसी से छुपा नही है । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया किस तरह पूँजी की गिरफ्त मे है यह हम देख ही रहे हैं । प्रिंट मीडिया के पास विज्ञापनो से जो जगह बच जाती है, वहा कुछ ख़बर देने का प्रयास करती है ।
ऐसे मे आर्थिक परेशानियों से घिरे रचनाकार भी रूपया कमाने के लिये अगर हास्यास्पद बन रहे हैं तो इसमे ग़लत क्या है ? आप ऐसा ना करके कोण सा साहित्य अकादमी का पुरस्कार अपने नाम कर ले रहें हैं ? वैसे आजकल पुरस्कार भी किसे और क्यों मिलते हैं जह भी आपलोगों से छुपा नही है । एक सत्य यह भी है की मंचो का विरोध करने वाला एक बहुत बड़ा वर्ग ख़ुद मंचो पे सक्रीय होना चाहता है । लेकिन उनकी हालत वही है की अंगूर ना मिले तो खट्टे हैं ।
मैं यह मानता हूँ की आज KAVYA मंचो की गरिमा पहले जैसी नही रह गई है, लेकिन इस का ठीकरा केवल रचनाकारों के ऊपर नही फोड़ा जा सकता । आज की तेज रफ़्तार संवेदना शून्य आत्मकेन्द्रित जीवन शैली ही मूल रूप से इसकी जिम्मेदार है । जो हो रहा है उसका दुःख हमे भी है ,लेकिन
अपनी मर्जी से हम भी कहा सफर मे हैं
रुख हवाओ का जिधर है , हम भी उधर हैं
बाकी आप क्या सोचते हैं ?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...
प्रोफ़ेसर साहब से मिलकर हार्दिक प्रसन्नता हुई, आप ब्लाग पर आये धन्यवाद, आपका ब्लाग भी आपके लेख की तरह काफ़ी अच्छा है, आशा है आप टिप्पणियों से मुझे अनुग्रहीत करेंगे।
ReplyDelete---
तख़लीक़-ए-नज़र
http://vinayprajapati.wordpress.com
Boy, this guy knows his stuff, how honest, and true too, very good post. Keep it up.
ReplyDelete