सौन्दर्य की सही परिभाषा हो तुम
प्यार भरे मन की अभिलाषा हो तुम ।
कर देती है जो अंदर ही अंदर बेचैन
मन की वही जिज्ञासा हो तुम ।
जिन बातो को सबसे छुपाये रखा
unhee bato ka khulasha ho tum .
jindagi mai ki chilchilaati dhoop
jismay disember ka kuhaasa ho tum .
Wednesday, 8 April 2009
Tuesday, 7 April 2009
राधा कृष्ण संवाद ....................................

कृष्ण- चतुर सुजान राधिके ,मान मेरी एक बात ,
संग-संग खेलो रास ,आज मेरे पूरी रात ।
राधा- साँवले सलोने कृष्ण ,मोहे मोय तेरी बात ,
डर मगर लागे है,सोच के लोक-लाज ।
कृष्ण-प्रेम डगर अगर-मगर,तुम ना सोचो राधिके ,
आज रात फ़िर ना जाओ,बात यूँ बना के ।
राधा-प्यार मे इम्तहान, यूँ न लो सांवरे
मेरे लिये इस कदर,तुम बनो न बावरे ।
कृष्ण-रात-दिन हर पहर,बस हूँ तेरे ध्यान में
प्रेम से बड़ा न कोई,सारे इस जहाँ में ।
राधा-नंदलाल मन मे तेरे खोट ही खोट है ,
प्यार की राह में तू चित्त चोर है ।
कृष्ण-प्राण सखे मेरा प्राण ,तेरे ही तो पास है ,
श्वास-श्वास में मेरी ,तेरी ही तो आस है ।
राधा-तेरे आगे लोक-लाज,श्याम में भूल गयी ,
जन्म-जन्म के लिये,राधा तेरी हो गई
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अभिलाषा
हर राज दिल के खोलती है ,तेरी तस्वीर कितना बोलती है ।
लहराती हुई खुली जुल्फों से ,
तू पास दिल को खीच लेती है ।
मुस्कुराते लबों से अपने ,
तू बातों में शहद घोल देती है ।
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चुनाव से पहले जूता................................
तो भइया आज हमारे गृहमंत्री जी को जूता पड़ ही गया । समाचारों मे दिखाया गया की जूता उन्हे लगा नही । लेकिन सरकार को तो जूता लग ही गया ,वो भी चुनावों के ठीक पहले । कांग्रेस वालो संभल जाओ । ऐसा ना हो कि इसी जूते की गूँज चुनावों के बाद सुनाई पडे । तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी । संभल जाओ ।
इंदिरा गाँधी की अनोखी तस्वीर ........................

आज से करीब एक -दो साल पहले सहारा समय अखबार मे इंदिरा जी के उपर एक बड़ा लेख छपा था । और यह तस्वीर भी । तस्वीर खास लगी इस लिये काट कर रख लिया । आज अचानक तस्वीर किसी किताब मे से मिल गई तो सोचा ब्लॉग पर डाल देता हूँ । तस्वीर सुरक्षित भी रहे गी और लोंगो को देखनो को भी मिलेगी । आप को यह तस्वीर कैसी लगी ?
हजारो मिन्नतों के बाद ..........................

इस तस्वीर को देखकर एक ग़ज़ल लिखी है । इस तस्वीर में जो बात है वो अलग है ।
हजारों मिन्नतों के बाद ,चले आते हैं
आकर बैठे भी नही,की चले जाते हैं ।
कभी अम्मी ,कभी अब्बा कभी खाला ,
इनके नाम से कितना डराते हैं ।
होश रहेगा कैसे ,उनसे मिलने के बाद
वो तो नजरो ही नजरो से पिलाते हैं ।
इश्क की गाड़ी में,बैठे हैं हम मियां
रोज ही झटके पे झटका खाते हैं ।
यहाँ जाती है इस गरीब की जान ,
एक वो हैं की बस मुस्कुराते हैं ।
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इश्क की बात ...................................
इश्क की बात छुपाऊँ कैसे
छुपी बात है ,बताऊँ कैसे ?
पहले ख़ुद ही सताया उन्हे ,
अब सोचता हूँ,मनाऊँ कैसे ?
चोर तो मेरे अंदर ही है ,
मैं भला शोर मचाऊँ कैसे ?
आँगन मेरा ही टेढा है ,
सब को नाच नचाऊँ कैसे ?
भूखे पेट आ गया हूँ ,
आपको हंसाऊं कैसे ?
छुपी बात है ,बताऊँ कैसे ?
पहले ख़ुद ही सताया उन्हे ,
अब सोचता हूँ,मनाऊँ कैसे ?
चोर तो मेरे अंदर ही है ,
मैं भला शोर मचाऊँ कैसे ?
आँगन मेरा ही टेढा है ,
सब को नाच नचाऊँ कैसे ?
भूखे पेट आ गया हूँ ,
आपको हंसाऊं कैसे ?
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