Tuesday, 21 October 2025

राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर...

 राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर...


1.तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो

मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो


2.गुलाब, ख़्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या है

मैं आ गया हूं बता इंतज़ाम क्या क्या है


3.अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है

जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे


4.जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे

मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे


5.फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो

इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो


6.आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो

ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो


7.उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है

बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं


8.बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर

जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं


9.किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है

आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है


10.ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था

मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था


11.मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना

मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था


12.अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए

कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए


13.कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए

चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है


14.कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे

जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे


15.रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है

चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है


16.हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे

कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते


17.मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए

और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं


18.नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से

ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं


19.एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे

वो अलग हट गया आँधी को इशारा कर के


20.इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है

नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं

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