मुश्किल तो था लेकिन गवारा कर लिया
हमने तुझसे थोड़ा सा किनारा कर लिया ।
ये इल्म, अमल और तहज़ीब के मसाइल
इनसे ऊबा तो ख़ुद को आवारा कर लिया ।
जब उजालों के तिलिस्म से डरने लगा तो
मुफलिसी में अंधेरों को सहारा कर लिया ।
जो दुश्मन थे मेरे मगर वसूलों के पाबंद रहे
उन्हें अपना अजीज़ अपना प्यारा कर लिया ।
मनीष कुमार मिश्रा
manishmuntazir@gmail.com
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 09 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!