कुछ और पीला होकर शाख से जुदा हो जाऊंगा
फिर क्या कि हवाओं के साथ मैं हवा हो जाऊंगा ।
मेरे लिखे इन शब्दों से एक जादू तो यकीनन होगा
इन्हें जब भी कहीं पढ़ा जायेगा मैं ज़िंदा हो जाऊंगा ।
हर गलती पर यही झूठी तसल्ली खुद को देता रहा
कि बस कल से ही ख़ुदा का नेक बंदा हो जाऊंगा ।
चिलाकशी करनेवाला वो पीर भी कितना अजीब था
कहता कि खुदा से मिलकर मैं भी खुदा हो जाऊंगा ।
Dr Manish Kumar Mishra
manishmuntazir@gmail.com
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