दीपावली - हर देहरी, हर द्वार ।
प्रकाश पर्व के रूप में
जैसे आती है दीपावली
वैसे ही आए
अनुभव से अनुभूति
ज्ञान से विवेक
संवेदनाओं से करुणा ।
प्रांजल विचारों का ज्योति कलश
सौभाग्य का अक्षत
संकल्पों का मांगल्य
आए
आकर ठहर जाए
हर देहरी, हर द्वार ।
यह दीपावली
पवित्रता का पुनर्वास करे
हृदय को अधिक उदार करे
सपने सब साकार करे
हर देहरी, हर द्वार ।
डा. मनीष कुमार मिश्रा
कल्याण - पश्चिम, महाराष्ट्र ।
manishmuntazir@gmail.com
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..