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Sunday 24 November 2013
मेरी आँखें
मैंने
कइयों
से
यह
सुना
है
कि
मेरी
आँखें
बहुत
बोलती
हैं
सुबकुछ
बोलती
हैं
शायद
इसीलिए
तुम
हमेशा
कहती
थी
तुम्हारी
आँखें
इजहार
करना
जानती
हैं
तुम
कुछ
मत
बोला
करो
।
1 comment:
रविकर
25 November 2013 at 10:57
बढ़िया बात-
आभार भाई जी-
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ReplyDeleteआभार भाई जी-