Saturday, 5 March 2011

ये उसके प्यार की खुशबू थी

सिलसिला जब तक चलता रहा
मेरा हौसला तब तक बढ़ता रहा 

उसका तो कुछ पता न था ,
मेरे अंदर ही   ख़्वाब पलता रहा .  

ये उसके प्यार की खुशबू थी,
मैं जिससे हरदम महकता रहा .

उसकी आँखों से जो पी लिए जाम,
ताउम्र मै बस बहकता रहा .

  सुना है, मेरे बाद  ,कई   रातों   तक ,
 वह  चाँद , छत  पर  सिसकता   रहा . 

एक दर्जी  की तरह  जिन्दगी  भर ,
 मैं फटे  रिश्तों  को  सिलता  रहा . 


    
  

Sunday, 27 February 2011

praveen bajpayee -kamgaar patrkarita puraskar 2011


आप को जान कर ख़ुशी होगी की मजदूर मसीहा -प्रवीण बाजपयी को कामगार  पत्रकारिता पुरस्कार २०११ से सम्मानित किया जा रहा है .

तरह .
      जब प्रवीन भाई कल्याण में रहते थे तो  उनका घर ही मेरा घर था , भाभी से माँ तुल्य प्रेम और स्नेह मिलता था . लेकिन कतिपय व्यक्तिगत कारणों  से प्रवीण भाई को  परेल  रहने के लिए जाना पड़ा . मैं भी अपने  शोध कार्य और  फिर नौकरी में  ऐसा उलझा कि अब फ़ोन पे ही दुआ-सलाम हो पाता  है .
    लेकिन इन  दूरियों ने दिलों  के रिश्ते को कमजोर नहीं होने दिया. अपनेपन कि ऊर्जा  हमेशा बनी रही . जब भी कभी मैंने भईया को कल्याण बुलाया वे  सारी  व्यस्तताओं में से भी समय निकाल  कर  आये . स्वास्थ की तकलीफों के बीच  आये . पारिवारिक  और राजनैतिक समस्याओं को दर  किनार कर आये . मुझे मेरे इस भाई पे गर्व है .
             आप शायद  यह सोच रहे होगें  कि मैं ब्लॉग पे किसी अपने करीबी का  गुणगान क्यों कर रहा हूँ ? मित्रो, जिन्दगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका हम सम्मान तो करते  हैं, लेकिन कभी  औपचारिक  रूप से कह नहीं पाते . लेकिन उम्र के लगभग ३० वसंत पूरा करते करते  मुझे  यह लगने लगा है कि ,किसी  से  प्यार हो, किसी के प्रति स्नेह हो,आदर हो तो हमे कहना जरूर चाहिए. क्या पता जिन्दगी कल ये मौका दे या ना दे .
 वैसे  मुंबई वालों के लिए प्रवीण बाजपयी कोई  नया नाम  नहीं है . आप  सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ  के मुंबई डिविजन के  अध्यक्ष  हैं. रेल केसरी पत्रिका के  कार्यकारी  संपादक हैं ,और एक  अच्छे कवि भी हैं . अगर आप नेट पे ही प्रवीण जी से मिलना  चाहें , तो निम्नलिखित लिंक का उपयोग कर सकते  हैं 
 praveenbajpai.crms@gmail.कॉम 
 ttp://www.facebook.com/reqs.php#/photo.php?pid=385531&op=1&o=global&view=global&subj=1635027107&id=1635027107 
   

डॉ.शीतला प्रसाद दुबे जी का सम्मान

 बुधवार दिनांक ०२ मार्च २०११ की शाम ७.३० बजे से कल्याण पश्चिम स्थित लक्ष्मण देवराम सोनवाने महाविद्यालय के प्रांगण में  स्नेह मिलन सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है. इस अवसर पर कई विद्वानों को सम्मानित किया जायेगा . 
             डॉ. शीतला प्रसाद दुबे जी का भी सम्मान इस अवसर पर किया जाएगा .  हाल ही में हिंदी अध्ययन मंडल , मुंबई विश्विद्यालय के अध्यक्ष के रूप में  के.सी.कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे जी की  नियुक्ति हुई है. आप विगत कई वर्षों से अध्यापन कार्य से जुड़े हुवे हैं. आप पीच.ड़ी के गाईड भी हैं. कई विद्यार्थी आप के मार्ग  दर्शन में अपना शोध कार्य सफलता पूर्वक पूरा कर चुके हैं. 
         आप का सम्मान करते हुवे संस्था गौरवान्वित है.  अध्ययन-अध्यापन से जुड़े लोगों का सम्मान हमारी संस्था हमेशा से ही करती आ रही है. 








    

Sunday, 13 February 2011

क्योंकि अब भी तेरा ही सामान हूँ ./

अजीब सी आदत से परेशान हूँ 
तुम्हे  सोच -सोचकर  हैरान  हूँ 


जो था,वो सब कुछ तुम्हे दे दिया,
अब बाजार क़ी एक बंद दुकान हूँ .


अब भी बहुत याद आती हो तुम,
सोचो  तो , कितना   नादान    हूँ . 




अकेला हूँ, आज इस वलेंटाइन  डे पर ,



क्योंकि अब  भी   तेरा ही  सामान हूँ .



जब खुद के ही कातिल हो गए /Saint Valentine's Day






             जब खुद के  ही कातिल हो गए 
           मकाम सारे मुझे हासिल हो गए 

       तू  सबसे   हसीन    सपना   था  मेरा  
      अफ़सोस! दुनियादारी  में  गाफिल  हो गए 

तेरा  प्यार  था  स्नेह  के   समंदर जैसा 
   तेरे  बाद  तो  रेतीला  साहिल  हो गए 

तेरी  बातें , तेरी  जुल्फें ,तेरी   यादें  सनम 
इनमे  इतना   उलझे  क़ी   जाहिल  हो गए   

आज  फिर  जब  वलेंटाइन  डे  है  
हम  तेरी  यादों  से  बोझिल  हो गए .  
-- 

मोहब्बत में हम भी इंसान हो गए.

किसी  पत्रिका में पढ़ा हुआ  मोहब्बत पर एक शेर आप सभी के लिए 
  सारे पेचीदा मसले आसान हो गए ,
मोहब्बत में हम भी इंसान हो गए. 
                               

या हम ही ठिकाने लग जाएँ

हाल ही  में भाई नदीम सिद्दीकी जी से मुंबई में एक कवि सम्मेलन में मुलाकात हुई. उनका एक शेर वेलेंटाइन  डे क़ी पूर्व संध्या  पर बड़ा कारगर  लगा. 


 तेरा इन्तजार करेंगे, चाहे ज़माने लग जाएँ 
 या तो तू आ जाए,या हम ही ठिकाने लग जाएँ . 

अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष

          अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष डॉ. मनीष कुमार मिश्रा प्रभारी – हिन्दी विभाग के एम अग्रवाल कॉलेज , कल्याण पश्चिम महार...