Sunday, 13 February 2011

या हम ही ठिकाने लग जाएँ

हाल ही  में भाई नदीम सिद्दीकी जी से मुंबई में एक कवि सम्मेलन में मुलाकात हुई. उनका एक शेर वेलेंटाइन  डे क़ी पूर्व संध्या  पर बड़ा कारगर  लगा. 


 तेरा इन्तजार करेंगे, चाहे ज़माने लग जाएँ 
 या तो तू आ जाए,या हम ही ठिकाने लग जाएँ . 

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

लास्लो क्रास्नाहोर्काई : 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेता हंगेरियाई लेखक

 लास्लो क्रास्नाहोर्काई : 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेता हंगेरियाई लेखक  बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जब विश्व साहित्य ने उत्तर-आधुनिक य...