Thursday 21 October 2010

जिंदगी तू ही बता तू है क्या चाहती ,

जिंदगी तू ही बता तू है क्या चाहती ,



अहसास नहीं आभास नहीं मृतप्राय  जीवन क्यूँ चाहती
बंधन नहीं हो उलझन नहीं हो क्या तू है मांगती

ऐ जिंदगी तू ही बता तू क्या है चाहती ,


भाव में है प्यार लेकिन  कहाँ मांग रहा इकरार तेरा
जिंदगी कटी  अभाव से  माँगा कब अहसान तेरा
झुरमुट हो उत्पीडन  का या घोर  समुद्र हो जीवन का
कब प्यार है छूटा श्रद्धा छोड़ी कब रास्ता छोड़ा प्रियतम का




ऐ जिंदगी तू ही बता तू क्या है चाहती ,

ना रुठती ना है मनाती ना राह करती साथ का
ना विफरती ना अकड़ती साथ करती हमेशा दुस्वार का
ना सिमटती ना बहकती  ना कोई अधिकार छोड़े प्यार का
दूरियां भाती नहीं नजदीकियां जमती नहीं क्या कहे इस साथ का

ऐ जिंदगी तू ही बता तू क्या है चाहती

ढूंढ़ रहे हैं अहसास उन अहसासों की गरिमा को ,

ढूंढ़ रहे हैं अहसास उन अहसासों की गरिमा को ,
तड़प रही है मेरी प्यास प्यास तेरी गरिमा को ,

दिल उद्विग्न मन आच्छादित काली घटा के साये से ,
विरह वेदना विचलित बंधन गुह्य प्यार क्रंदित तन से
असमंजित भाव विकल ध्यान अनुसंशित सामाजिक मानो से
दृग से आंसू धड़कन कम्पित विपन्न बना मन आशों से

ढूंढ़ रहे हैं अहसास उन अहसासों की गरिमा को ,

तड़प रही है मेरी प्यास प्यास तेरी गरिमा को ,





Monday 18 October 2010

सहमे पत्ते खिले फूल हैं

सहमे पत्ते खिले फूल हैं
महका गुलशन  मौसम नम
 खिलता चेहरा आखें रिक्त
 रुंधा गला बातों मे सख्त
 थाली सजी पूजा के फूल
 सुखा  पत्ता पैर की धुल
खुशियों का मौसम  गम की चिंगारी
सीने में सिमटी  बाहें वो प्यारी
सहमे पत्ते खिले फूल हैं

महका गुलशन मौसम नम

Friday 15 October 2010

side effects of non-systematic working :-

A Moralist Story For All Employees.
(Fine Print - Especially for newly promoted Chief's going to join at (in)convenient and exotic places of posting!)
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A story told by an IIM professor regarding the side effects of non-systematic working :-


He submitted -

TA, DA Bill, Bills of Sushen Vaidya, Hospital Charges incurred for Bharatji when met with an accident during his travel, Cost of Sanjeevani Booti for Laxmanji, (Transport charges)

(1) Where is your tour sanction report ? Asked the HR & ADMIN Dept. Hanumanji got it done sting to concerned officials 2 or 3 times.

(2) Hanumanji claimed T.A. bill for air travel - but he was given only second class sleeper charges. And all other expenses on medical, Sanjeevani Booti, expenses on Sushen Vaidya were not reimbursed.

When he asked for the reasons, he was told that:

(a) As per his designation, he is entitled for IInd class sleeper only.

(b) He cannot get claim for other things as he does not have bills.

Hanumanji approached Shri Rama and explained him about the deduction on his tour expense report : Ramji ordered the related official to pay for Air travel & other charges as claimed by Hanumanji. The officer came with the rule book & told Shri Ramji "These rules were created by grand father of Dasharathji, If you want to overrule your forefathers I don't have any problem."

Ramji became speechless. So he thought for another way to compensate Hanuman. He called Hanumanji & gave him the claimed amount in cash, But how can Hanumanji take cash money from Ramji ?

Hanumanji said "How can I take money from you for treating Laxmanji? Laxmanji is equally reverend to me as you are." Later in his heart of hearts Hanumanji thought "Why he listened to accounts fellow, cut short his LTA, completed all the formalities & put Shriram in such an awkward position where he has to offer money to me!!!"

Hanumanji continued his work with the same attachment as he used to after this incidence also.

Hanumanji was a God, but for us, mortals, learnt a different lesson & that was



Thursday 14 October 2010

दर्दे अहसास नहीं है ये ऐ यारा

दर्दे अहसास नहीं है ये ऐ यारा
प्यास नहीं है ये ऐ यारा
चाह है उन आखों में खोने की
चाह है कुछ पल जीने की

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दर्द नहीं है रुसवाई है
अपनो से ठोकर खायी है
खुशियों बिन चल भी जाये
क्या करे जब जुदाई है

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Tuesday 12 October 2010

सत्य मृत्यु है चंचल ये जीवन

भक्त भी प्रिय भगवान भी प्रिय ,
ये मिथ्या संसार भी प्रिय ,
प्रियतम तुझको छोडूँ कैसे
मुझको तेरा नकार भी प्रिय

भाव अचल है चंचल है धड़कन  
प्यार अटल है चंचल ये बंधन
प्यास न जाती आस न जाती
सत्य मृत्यु है चंचल ये जीवन

Friday 8 October 2010

दिल कह रहा पुकार लूँ तुझको

दिल कह रहा पुकार लूँ तुझको
रेशमी बालों को सँवार दूँ फिर से
अहसास कहे है तेरी तनहाई
मौसम ने ली है फिर अंगडाई
ह्रदय भ्रमित है किस राह को जावे
क्या कर दे की प्यार को पावे
साँस रुकी है पल स्थिर है
नम आखें और ह्रदय व्यथित है 
 क्या कहूँ मै तुझको या चुप बैठूं
थामू मै धड़कन या सपनों को बहकूँ 
निहार रहा बंद आखों से तुझको 
आंख खोल क्या मै तुझको देखूं 
दुविधा है फैली चहुँ ओर 
किस बंधन से बंधी है डोर 
चाह ना छोड़े अपनी आशा 
तू ना बदले अपनी भाषा 
राह चल रही औ मै स्थिर हूँ 
भाव तेरा फिर भी काफ़िर हूँ ?
दिल कह रहा पुकार लूँ तुझको

रेशमी बालों को सँवार दूँ फिर से





 

Tuesday 5 October 2010

बहक जाये गर तमन्ना तेरी आगे बढकर गले लगा लेना

unशिकायत हो तो कह देना 
अरमानो की बगावत हो तो कह देना 
अदावतों से डरते नहीं सपने कभी 
दिल में चाहत हो तो कह देना 
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मोहब्बत में इंतजार भी मजा देता है 
दूरियों का करार भी मजा देता है 
पास आने को दिल झिझकता  है कभी
मिलने को मचलता हो दिल तो कह देना

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मेरी मोहब्बत से हो नफ़रत तो बड़ा लेना
मेरी चाहत से हो अदावत तो बचा  लेना 
जीत लूँगा हर अड़चन को अपनी मोहब्बत से 
बहके तमन्ना तो  कह देना    

Thursday 30 September 2010

देश से बड़कर धर्म नहीं है




देश से बड़कर धर्म नहीं है
मानवता से बड़ा कोई  कर्म नहीं है
प्यार मोहब्बत भाई चारा
जुड़ कर रहना सीखो यारा

धर्म के ऊपर युद्ध नहीं हो
धर्म स्थल पे द्वन्द नहीं हो
राम रहीम ईशा औ बुद्ध ने
मोसेस नानक औ महावीर ने
प्यार सिखाया नहीं सिखाई नफ़रत
सौहाद्र शांति की डाली थी आदत
चाहे जिस रूप में याद करे हम
इश्वर अल्लाह या god कहे हम
मिलकर रहना प्रेम बाँटना
यही इबादत यही है जीना

देश से बड़कर धर्म नहीं है

मानवता से बड़ा कोई कर्म नहीं है
प्यार मोहब्बत भाई चारा
जुड़ कर रहना सीखो यारा

उज़्बेकिस्तान में एक पार्क ऐसा भी

  उज़्बेकिस्तान में एक पार्क ऐसा भी है जो यहां के वरिष्ठ साहित्यकारों के नाम है। यहां उनकी मूर्तियां पूरे सम्मान से लगी हैं। अली शेर नवाई, ऑ...