प्यार में अनुनय ,
आवाज में अनुनय ,
पर अहसास से अनुनय,
कैसे हो ;
अधिकार की सीमा ,
ऐतराज की सीमा ,
पर प्यार की सीमा,
कैसे हो ;
हालात से समझौता ,
वारदात से समझौता ,
पर दिल का समझौता ,
कैसे हो ;
राह न भुला ,
चाह न भुला ,
पर विश्वास को भुला ,
कैसे हो ?
प्यार में अनुनय ,
आवाज में अनुनय ,
पर अहसास से अनुनय,
कैसे हो ;
अधिकार की सीमा ,
ऐतराज की सीमा ,
पर प्यार की सीमा,
कैसे हो ;
हालात से समझौता ,
वारदात से समझौता ,
पर दिल का समझौता ,
कैसे हो ;
राह न भुला ,
चाह न भुला ,
पर विश्वास को भुला ,
कैसे हो ?
विरल विरल सा मन है मेरा,
ना गम ना खुशियों का फेरा ,
विरल विरल सा मन है मेरा,
विरक्त हूँ भावों से कुछ कुछ ,
विभक्त हूँ अभावों से कुछ कुछ ,
पर मन में संताप नहीं है ,
और हरियाली का भास नहीं है ;
बोझिल है हैं विचार भी मेरे ,
खाली खाली से हैं व्यवहार भी मेरे ,
विरल विरल सा मन है मेरा,
ना गम ना खुशियों का फेरा ,
विरल विरल सा मन है मेरा,
निकलती नहीं खुसबू तेरी सांसों की मन से ,
खिलती नहीं आखें बिना तेरे तन के ;
डूबा रहता हूँ सपनों में मिलन की घड़ियों का ;
पर तू मिलता नहीं कभी बिना उलझाव और अनबन के ;
कभी तो कहा कर प्यार बिना अहसान के ;
कभी तो मान अपना अधूरापन बिना मेरी प्यास के ;
खुद का मान तुझे मेरी मोहब्बत से प्यारा है ;
ऐ जिंदगी मैंने किसपे अपनी मोहब्बत को वारा है /
मोहब्बत की जुदाई में भी एक सुकूँ है दिले दिलदार से पूंछो ,
.
मोहब्बत की तड़पन में छुपा इक जुनूं है किसी आफताब से पूँछों ;
.
चाहते तमन्ना में उम्र गुजर जाये भी तो कम है ,
.
इन्तजारे इश्क भी एक खुदाई है अपने प्यार से पूँछों /
.
अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष डॉ. मनीष कुमार मिश्रा प्रभारी – हिन्दी विभाग के एम अग्रवाल कॉलेज , कल्याण पश्चिम महार...