Thursday, 31 December 2009

नव वर्ष की पूर्व संध्या पर

नव वर्ष की पूर्व संध्या पर ********************

नए साल का  आगमन होने ही  वाला है .इन्टरनेट  पे हर जगह नए साल को मनाने की तैयारियों को ले कर चर्चा चल रही है .कुल मिलाकर शराब,लडकियां और  नाच-गाने  का ही जोर  चारों तरफ   है . ऐसे में एक सवाल मेरे मन में उठता है कि क्या भारत जैसे देश में इस तरह  से नव वर्ष  का स्वागत योग्य है ?
  भारत जन्हा कि ७०% आबादी  गाँवों की है , जन्हा देश का बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहा है .जहा एक बड़ी आबादी  बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही हो, वंहा नव  वर्ष का  स्वागत कैसे होना  चाहिए ?
  आप यह  मत सोचिये की मैं आप को कोई  सन्देश  दे रहा हूँ  और  आप की  शाम  खराब कर रहा हूँ . मैं तो बस इतना  चाहता  हूँ की  आप इस बात पे  पूरी ईमानदारी के  साथ सोंचे .
 अंत में  बस इतना ही  की
नव वर्ष की  शुभ कामनाए
 २०१० आप के लिए मंगलमय हो . 

Wednesday, 30 December 2009

नया साल जब आता है ,--------------------------------------

नया साल  जब  आता  है ,
याद तुम्हारी लाता है . 
तेरे  मेरे सपनो का ,
खंडहर मुझे दिखाता है . 
नया साल ---------------------------------------
 ना जाने  तेरी कितनी ,
बातें याद दिलाता है . 
वक्त की शाखों से टूटे,
 पत्तो सा बिखराता है .
नया  साल -------------------------------------------
 अपने  सपनो  की टूटन को,
हर आहट में दिखलाता है . 
अपनी हर छुअन को,
 यादो में  सहलाता है . 
नया साल -------------------------------

आ जाओगी शायद फिर तुम,
एहसास यही दे जाता है . 
मीठे-मीठे सपनो को ,
मेरे पास  सुलाता  है .
 नया साल ---------------------------------- 
 तेरे बाद उदास पड़े,
 बिस्तर को  सहलाता है .
 उदास इसकी सलवटों में ,
 मेरी हंसी उड़ाता है . 
नया साल जब -------------------------------- 
 happy new year -2010

Indian Cricketers launch their Websites

This is one good news for Indian Cricket fans and specially for Fans of Dhoni, Bhajji, Sehwag and Ishant as they have launched their own websites so that they can get closer to their fans on Internet and share more about them.  Each of the websites have :
  • Biography
  • A Fan Zone or Fan club
  • A Picture Gallery
  • A webcast where each of these players talk about something to share with their fans.
You would find something more and different in each of their websites which is personalized according to theie taste. Like you can seee Bhajii showing off his cap collection and Dhoni his love for football.  Here the details for each of them :
Dhoni worldDhoni world
Bhajji worldBhajji world
Sehwag worldSehwag world
Ishant worldIshant world

Tuesday, 29 December 2009

The Traffic People : Getting through Indian roads can be little easy



The Traffic People : Getting through Indian roads can be little easy



We all know how tough is Indian roads specially when its peak time. Its not about just road conditions but when everybody is on road with their wheels on nothing helps excpet your experince. The Traffic People is an initiative by Shailesh Sinha of Delhi to help you travel through Indian roads little easier with tools they have launched and few more they will be doing in coming months.



Current Traffic Status

Plan your Route through city traffic.

Traffic Radio helping you to find which road will give you blues croissing through. There is a radio cast availble almost every 30 minutes to help you analyse the condition of the roads.

Traffic Forecast : This will be intresting depending on what kind of analysis is do



As of now only Delhi is on their radar and we hope to see how well they go ahead with this challeneging tasks. You can send an SMS to 54242 with text as TRAFFICPEOPLE and you would get the latest traffic update on your phone. Good luck to them. Find more details on Traffic People

पथिक है बैठा राह तके है /

पथिक है बैठा राह तके है ,

हमसाया मिल जाये ,

जो सपनों को सींचे है ,

रुके पगों को क्या हासिल हो ,

जो हमराही मिल जाये ,

चलते रहना नियति हो जिसकी ,

क्यूँ राहों पे रुके है ;

पथिक है बैठा राह तके है ,

बड़ते कदमों संग दुनिया भागे ,

चलता प्रियतम दुनिया मांगे ,

क्यूँ वो इसको भूले है ;

पथिक है बैठा राह तके है ,

मंजिल पहले थमना कैसा ,

धारा संग भी बहना कैसा ,

मंजिल एक पड़ाव है ,

कुछ पल का ठहराव है ,

नयी चुनौती नयी मंजिले ,

नयी सड़क का बुलावा है ,

जो संग चला वो हम साया ,

जो साथ रहा वो ही है यारा ,

पथिक है बैठा राह तके है /

Monday, 28 December 2009

merry christmas



 

 

 
 


 

&   
Wishing you all a Blessed Merry Christmas and
 Hope the New Year will bring peace, health and success

     
 
                                                              
 
 
 
                    

           

                  


 

हिंदी का राष्ट्रिय सेमीनार


 हिंदी का  राष्ट्रिय सेमीनार-पुणे

 १५-१६ जनवरी  २०१०  को पुणे  विश्विद्यालय  से सम्बद्ध  चांदमल ताराचंद  बोरा महाविद्यालय , रांजनगाँव ,शिरूर  में  २  दिवसीय
 राष्ट्रीय संगोष्टी  आयोजित  की  गई  है . यदि  आप  इस  संगोष्टी में  सहभागी  होना  चाहते  हैं  तो  संपर्क करे -
 डॉ.इश्वर पवार 
 ०२१-३८२८८४४४ 
 ०९६२३९६१४४३
 ०९४२२३१६६१७ 
 संगोष्ठी  में   आप  का  स्वागत  है  
 


अभिलाषा १०५

जीवन के पैरों पे गिर के,
अभिलाषा ने किया सवाल .
अपने पूरे होने की ,
उसकी थी चाहत  प्रिये .
 
उसकी बाते सुनकर के,
 जीवन बस इतना बोला -
जो पूरी ही हो जाए,
अभिलाषा वो कंहा प्रिये . 

                       ---------अभिलाषा १०५  

Saturday, 26 December 2009

अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /

डरा हुआ ये वक़्त है ,
आज समाज विभक्त है /
आडम्बर का चलन बड़ा है ,
गले लगाने का आचरण बड़ा है /
शंकाओं का धर्म बड़ा है ,
बातों में मिठास लिए ,
अविश्वास का करम बड़ा है /
मिलते हैं ऐसे जैसे अपना हो ,
भूले तुरंत जैसे सपना हो ,
खा लेंगे इक थाली में ,
जाती हमेशा याद आती है ,
नाम निकालेंगे देश का ,
पर झगडा होगा हमेशा प्रदेश का ,
सबसे छोटा देश यहाँ हैं ,
अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /

Thursday, 24 December 2009

अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /

अनजान राहें न थीं ,
अजनबी बाहें न थीं ;
सिमट न सकी वो मेरे सिने में ,
मोहब्बत की उसमे चाहें न थीं /

बदन की प्यास न थी ,
उपेच्छा की आस न थी ,
मोहब्बत से कब इनकार था मुझको ,
उनसे दुरी काश न थीं /

अभी रोष बाकी है ,
अभी तो होश में हूँ मगर ,
प्यार का जोश बाकी है ;
चाहता हूँ बाँहों में भर सिने से लगा लूँ ,
अभी मेरे इश्क का आवेश बाकी है ,
ये यार मेरे अभी इश्क का उदघोष बाकी है ,
आखों में आंसू दिल में दर्द ,
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /

Wednesday, 23 December 2009

सजे हो महफ़िल में आखों में चमक नहीं /

सजे हो महफ़िल में आखों में चमक नहीं ,
हँसता चेहरा खिलती बातें पर वो मुस्कान नहीं ;
घूम रही है तू इठला के पर गुमान नहीं ,
क्या उलझन है तेरे दिल की ,
क्यूँ तेरा मन शांत नहीं /
तेरी खनकती आवाजों को सब तेरी खुशियाँ मान रहे ,
बदन थिरकता तेरा धुनों पे सब सुखी तुझे जान रहे ;
तेरी आभा जो खोयी है वो नहीं जान रहे ,
जो कहना चाहो कह दो मुझसे क्या बिखरा क्या खोया है ,
क्यूँ खुशियाँ दिल में नहीं तेरे जो तुने चेहरे पे बिखरा है ;
क्या यादों का साथ अभी है ,
क्या ह्रदय में घाव अभी है ,
क्या सब हो के भी कुछ खलता है ,
क्या प्यार तेरा अब भी जलता है ;
क्यूँ त्योहारों पे उमंगें उमंगें छाती है ,
क्यूँ फिर भी आखें नहीं हंस पाती हैं /
अब राहों पे रुकना कैसा ,
अब चाहों से हटना कैसा ,
ह्रदय है हावी तो दिल की सुनो ,
अब क्यूँ घुटना क्यूँ मुड़ के देखना ;
अब है रिश्तों को अपने ढंग से जीना /
कुछ तकलीफे कुछ खुशियाँ होंगी ,
पर वो तेरी अपनी होंगी /
-- - -- - - पर वो तेरी अपनी होंगी /

==============================================================

लिप्त हैं वो अभिसार में ,

खोये हैं वो इक दूजे के प्यार में ;

ओठ पी रहे ओठों की मदिरा ,

चंचल मान और काम का कोहरा ;

मचल रहा बदन बदन के प्यास से ,

चहक रहा तन तन के साथ से,

चन्दन सा घर्षण मेंहंदी सी खुसबू ,

उत्तेजित काया मन बेकाबू ,

कम्पित उच्च उरोजों का वो मर्दन ,

चूमता बदन और हर्ष का क्रन्दन ,

उफनती सांसों का महकता गुंजन ,

दुनिया से अनजान पलों में ,

स्वर्गिक वो तनों का मंथन ,

कितना भींच सको अपने में ,

कितना दैविक वो छनों का बंधन ,

भावों की वो चरमानुभुती है ,

प्रेमोत्सव की परिणिति है ;

प्यार सिर्फ अभिसार की राह नहीं है यारों ,

पर प्यार की ही ये भी इक प्रीती है ,

प्यार का बंधन तन मन का आलिंगन ,

कितनी दिव्य ये भी इक रीती है /

================================

क्या वक़्त था वो भी ,क्या समय था वो भी ,

वो मुझपे मरती थी मै कितना डरता था ;

नजरें जब भी उनसे मिलती थी ,

पलकें पहले मेरी झुकतीं थी ,

पास जो आके वो इतराती ,

मेरी हालत पतली हो जाती ,

बात वो करती जब अदा से ,

कम्पित तन मन थर -थर करता ,

बदन कभी जब बदन से लगता ,

दिल मेरा धक् -धक् सा करता ,

मुस्काती थी तब वो खुल के ,

मै पत्थर का बुत बन जाता ,

हफ्ते बीते ,बीते मौसम ,

बदला साल महीने बीते ,

पता नहीं कब मैंने हाथ वो पकड़ा ,

कब उसने बंधन में जकड़ा ,

कब डूबा उसकी बातों में ,

कब खोया उसकी आखों में ,

वक़्त उड़ा फिर ,नहीं पता चला फिर ,

कब उसकी मगनी कब शादी बीती ,

असहाय हुआ मूक बना कब ,

क्यूँ उसने नहीं मुझको बोला ,

आखों में खालीपन लिए मै डोला ,

अब सिने को सिने की बारी थी ,

अब नए जीवन से लड़ने की तैयारी थी ,

नयी राह पे फिर मैं निकला ,

फिर जीवन को जीने की ठानी थी /

अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष

          अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष डॉ. मनीष कुमार मिश्रा प्रभारी – हिन्दी विभाग के एम अग्रवाल कॉलेज , कल्याण पश्चिम महार...