अपनी तबाहियों का मुझे कोई गम नहीं,
तुमने किसी के साथ मुहब्बत निभा तो दी।
-साहिर लुधियानवी
हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,
दिल को खुश रखने को 'गालिब' ये ख्यालअच्छा है।
-मिर्जा गालिब
ऐसा लगता है, हर इम्तिहाँ के लिए,
किसी ने जिन्दगी को हमारा पता दे दिया है।
अपना तो आशिकी का किस्सा-ए-मुख्तसर है,
हम जा मिले खुदा से दिलबर बदल-बदल कर।
आशिकी से मिलेगा खुदा,
बंदगी से खुदा नहीं मिलता।
-दाग
कुछ लोगों से जब तक मुलाकात न हुई थी
मैं भी यह समझा था, खुदा सबसे बड़ा है।
दूसरों पैं जब तबसिरा कीजिए,
सामने आइना रख लिया कीजिए।
बेचैनियाँ समेटकर सारे जहान की,
जब कुछ न बन सका तो मेरा दिल बना दिया।
इलाही उनके हिस्से का भी गम मुझको अता कर दे,
कि उन मासूम आंखों में नमी देखी नहीं जाती।
कितने हसीन लोग थे जो मिलकर एक बार,
आंखों में जज्ब हो गये, दिल में समा गये।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
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