कल शनिवार, दिनांक 18 अगस्त 2012 को हम लोग कल्याण से सटे शहापुर मैं बने मानस मंदिर और वंहा से 55 किलो मीटर दूर अजा पर्वत पर स्थित वाल्मीकि ऋषि के आश्रम जाने के लिए सुबह 7.30 बजे निकले । पिताजी मेरे साथ थे । साथ ही महाविद्यालय के उप - प्राचार्य डॉ आर . बी . सिंह , बाटनी विभाग प्रमुख डॉ वी. के . मिश्रा ,और कैमिस्ट्रि विभाग से डॉ कुलकर्णी साथ थे । जिनकी ट्वेरा गाड़ी हमने भाड़े पे ली थी , वे थे श्री संतोष भोईर जी ।
मानस मंदिर जैन संप्रदाय के लोगों का प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ की प्राकृतिक सुषमा देखते ही बनती है । चारों तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ यह मंदिर मुंबई नाशिक रोड से सटा हुआ है । यंहा मंदिर की फोटो निकालना मना है , लेकिन हमने सुरक्षा कर्मियों की नजरें बचाकर कुछ तस्वीरें निकाल ही ली। विशेष तौर पे उस वृक्ष की तस्वीर , जिसपे मन्नत का नारियल लोग लाल कपड़े में बांधते हैं ।
मंदिर का परिसर घूमने के बाद हम नास्ते के लिए
मंदिर के ही भोजनालय में आए। यंहा 40 रुपये में
एक कुपन था, जिसमे नास्ते के लिए कई चीजें थी ।
हमने 5 कुपन लिए । ड्राइवर संतोष जी का उपवास था , उनके लिए वंहा कुछ खाने लायक उपलब्ध नहीं था ।
यह सुनिश्चित हुआ कि उनके लिए
रास्ते में फल खरीद लिया जाएगा ।
मानस मंदिर जैन संप्रदाय के लोगों का प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ की प्राकृतिक सुषमा देखते ही बनती है । चारों तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ यह मंदिर मुंबई नाशिक रोड से सटा हुआ है । यंहा मंदिर की फोटो निकालना मना है , लेकिन हमने सुरक्षा कर्मियों की नजरें बचाकर कुछ तस्वीरें निकाल ही ली। विशेष तौर पे उस वृक्ष की तस्वीर , जिसपे मन्नत का नारियल लोग लाल कपड़े में बांधते हैं ।
मंदिर का परिसर घूमने के बाद हम नास्ते के लिए
मंदिर के ही भोजनालय में आए। यंहा 40 रुपये में
एक कुपन था, जिसमे नास्ते के लिए कई चीजें थी ।
हमने 5 कुपन लिए । ड्राइवर संतोष जी का उपवास था , उनके लिए वंहा कुछ खाने लायक उपलब्ध नहीं था ।
यह सुनिश्चित हुआ कि उनके लिए
रास्ते में फल खरीद लिया जाएगा ।
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