Tuesday, 7 February 2012

आज तीस वसंत के बाद















आज 9 फरवरी 2012 को ,

जीवन के  तीस वसंत के बाद

जब पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो

कई मुस्कुराते चेहरों को पाता हूँ ।

लगभग हर आँख में ,

अपने  लिए प्यार पाता हूँ ।

अपने लिए इंतजार पाता हूँ ।

कुछ अधूरे सपनों की कसक पाता हूँ ।

संतोष और अपार सुख पाता हूँ ।

फिर जब आगे देखता हूँ तो

कईयों की उम्मीद देखता हूँ ।

कई-कई अरमान देखता हूँ ।

वादों का भरी बोझ देखता हूँ ।

किसी को खुश, किसी को नाराज देखता हूँ ।

फिर जहां खड़ा हूँ

वहाँ से आज तीस वसंत बाद,

जब खुद को आँकता हूँ तो ,

उस परम सत्ता की कृपा के आगे

नत मस्तक होते हुए

इस जीवन के लिए धन्यवाद देता हूँ ।

और प्रणाम करता उन सभी को जिनहोने ,

मुझे अपने प्रेम और घृणा

विश्वास और अविश्वास

आशीष और श्राप

इत्यादि के साथ

अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया और

आज जीवन के इस पड़ाव पर ,

मेरे लिए अपार सुख और संतोष के नियामक बने ।

आभारी हूँ मैं सभी का  ।

आभारी हूँ उसका भी जो ,

मेरे अंदर मेरी बनकर रहती है ।

मेरे अंदर शक्ति का संचार करती है ।

वो जिसकी गर्मी प्राणवायु सी लगती है ।

वो जिसके लिए,

दुनिया को सुंदर बनाने का मन करता है ।

जिसके लिए सब कुछ सहने का मन करता है ।

वो जो सुंदर है ,

वही मेरा सत्य है ।

ये वही है जो ,

सब कुछ अच्छा बना देती है ।

सब को मेरा बना देती है ।

सब को माफ कर देती है ।

सब के बीच मुझे बाँट देती है ।

आज इतने लोगों में बट गया हूँ कि

उसी से दूर हो गया हूँ जिसकी ऊष्मा से

दुनिया बदलने की ताकत रखता हूँ ।


No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...