Saturday, 11 May 2013

आवारगी 06


                   किस कदर बेज़ार हो गए
                   इश्क़ में हम लाचार हो गए


                   जिसे माना था इलाज़ अपना
                   उसी के चलते बिमार हो गए


                  किसी के इक़रार के ख़ातिर
                  देखो कितने बेक़रार हो गए  


                 खाते थे जो मोहब्बत कि कसमें  
                 बदले –बदले से वो सरकार हो गए   


आवारगी 5


             मैं उनसे दूर ना जाऊँ ये उनकी ही हिदायत है
             उनके पास जो बैठूँ तो समझो बस कयामत है
 

             खिली रंगत, खुली ज़ुल्फें, और शोखियाँ उनकी
             ये पैगाम मोहब्बत का, बड़ी उनकी इनायत है

              
             शिकायत वो कभी कोई मुझसे नहीं करती
             बस इसी एक बात कि मुझको शिकायत है


             मोहब्बत के ना जाने क्यों लोग दुश्मन हैं
             मोहब्बत के ही दम से तो दुनियाँ सलामत है
       

Tuesday, 7 May 2013

आवारगी 4


            यह दिल, यह दिल ही बड़ा नादान है
            नहीं तो जीना,सिर्फ़ जीना,बड़ा आसान है

            तेरी यादें, तेरी बातें, और ये रातों की तनहाई
            कुछ और नहीं, सब ग़ज़ल का सामान है

            वो जो मुंतजिर है मोहब्बत की राहों का
            वो मासूम तो, अपने अंजाम से अंजान है

            मेरे सीने में धड़कता दिल, उकसाता है मुझे
            है अजीज़ मुझको, पर बड़ा ही शैतान है     

आवारगी 3


          आदत है बहकने की, बहक जाता हूँ
          उसे जब भी देखता हूँ, दहक जाता हूँ

          मुँह तोड़ देता हूँ, सभी के सवालों का
          पर सामने उसके ही मैं, हिचक जाता हूँ  

          पास मेरे हैं, तनहा रातें, यादें, बातें
          इनमें उसकी ख़ुशबू है, सो महक जाता हूँ
        
          वो जब रोशनी की शहतीरों सी बिखरती है
          मैं भोर के पंछियों की तरह ,चहक जाता हूँ

आवारगी 2


          उसे भुलाने का कोई सलीका नहीं आता
          बिना उसके जीने का तरीका नहीं आता

          मैं दे तो दूँ , सब के सवालों के जवाब
          पर मेरे ओठों पे नाम, उसका नहीं आता

          ख़्वाब मेरे भी टूटे हैं यूँ तो कई लेकिन
          अधूरे ख्वाबों को अधूरा,छोड़ा नहीं जाता

          यक़ीनन होगी तेरी कोई मज़बूरी लेकिन
          मुझसे तो इसकदर ,मुँह मोड़ा नहीं जाता ।  

भारतीय ज्ञान परंपरा और उज़्बेकिस्तान: भाग एक

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