
जीवन की सारी तन्हाई ,
खो कर तुझमे ही बिसराई ।
तुझसे पहले तेरे बाद ,
हर हाल मे तेरा ध्यान प्रिये ।
आज तुझे फिर जीने का जी चाहा है ;
आज फिर यादों ने दिल ललचाया है ;
बारिश की फुहारों में तन भीगा है ;
तेरी यादों में मन भीगा है ;
भाव मचले हैं कितनी तमन्नाओं के साथ ;
याद आ रहे हैं गुजरे वाकयात /
क्या खूब घटा छाई थी ;
भीगी जुल्फों ने मासुकी फैलाई थी ;
बारिश की बौछारों ने , बहती बहारों ने ,
हमारे तन की आतुरता बडाई थी ;
मन पे मदहोशी छाई थी ;
मखमली बदन के बड़ते अहसास ;
मेरे शरारती हाथों के बड़ते प्रयास ;
लरजते होठों का तपते होठों से गहराता विस्वास ;
बेकाबू जजबातों का ,दो बदनों के बिच मचाया वो उत्पात ;
बारिश का मौसम और वो तूफानी रात ;
आज तुझे फिर जीने का जी चाहा है ;
आज फिर यादों ने दिल मचलाया है /
✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...