Saturday, 22 March 2025

Five most spoken languages in the world

 Five most spoken languages in the world (by number of total speakers):


English – Approximately 1.5 billion speakers

(Widely spoken as a first and second language across the world.)


Mandarin Chinese – Around 1.1 billion speakers

(Primarily spoken in China, Taiwan, and Singapore.)


Hindi – Around 600 million speakers

(Mainly spoken in India and parts of Nepal, Fiji, and Mauritius.)


Spanish – Approximately 500 million speakers

(Spoken in Spain, Latin America, parts of the US, and other regions.)


French – Around 300 million speakers

(Spoken in France, parts of Africa, Canada, Belgium, and other countries.)

Friday, 21 March 2025

विश्व कविता दिवस (World Poetry Day)

 विश्व कविता दिवस (World Poetry Day) हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कविता के महत्व को पहचानना, कवियों को सम्मानित करना और दुनिया भर में कविता के माध्यम से रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करना है।

इतिहास:

  • यूनेस्को (UNESCO) ने 1999 में अपने 30वें आम सम्मेलन में 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में घोषित किया।
  • इसका मुख्य उद्देश्य विश्वभर में कविता के पढ़ने, लिखने, प्रकाशित करने और पढ़ाए जाने को बढ़ावा देना था।
  • साथ ही, यह दिवस विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं में कविता के योगदान को भी रेखांकित करता है।

महत्व:

  1. भाषाई विविधता का उत्सव — कविता विभिन्न भाषाओं और बोलियों में लिखी जाती है, जिससे सांस्कृतिक विविधता और पहचान को बल मिलता है।
  2. कवियों को मंच देना — इस दिन कवियों और उनकी रचनाओं को वैश्विक पहचान मिलती है।
  3. सृजनात्मकता का प्रोत्साहन — नई पीढ़ी को कविता लेखन के प्रति प्रेरित किया जाता है।

बांग्ला भाषा का इतिहास

 बांग्ला भाषा का इतिहास

बांग्ला भाषा, जिसे हम बंगाली भाषा भी कहते हैं, भारत और बांग्लादेश की एक प्रमुख भाषा है। यह भाषा इंडो-आर्यन भाषा परिवार की सदस्य है और विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।

प्रारंभिक इतिहास:

बांग्ला भाषा का उद्भव प्राचीन भारत की प्राकृत भाषाओं से हुआ है। विशेष रूप से, इसे मगधी प्राकृत से विकसित माना जाता है, जो कि मौर्य काल में मगध क्षेत्र (वर्तमान बिहार) में बोली जाती थी। 7वीं से 10वीं शताब्दी के बीच, यह प्राकृत भाषा अपभ्रंश रूप में परिवर्तित हो गई, जिसे हम "अर्धमगधी अपभ्रंश" कहते हैं। यही अर्धमगधी अपभ्रंश आगे चलकर बांग्ला, असमिया और ओड़िया जैसी भाषाओं का आधार बना।

मध्यकालीन बांग्ला:

11वीं से 14वीं शताब्दी के दौरान बांग्ला भाषा ने एक स्वतंत्र रूप ग्रहण किया। उस समय के साहित्य में चार्यपद (10वीं-12वीं शताब्दी) को सबसे प्राचीन बांग्ला काव्य माना जाता है। यह बौद्ध सिद्धाचार्यों द्वारा रचित रहस्यमयी गीतों का संग्रह है।

मुस्लिम शासन और फारसी प्रभाव:

13वीं शताब्दी में बांग्ला क्षेत्र पर मुस्लिम शासकों का आगमन हुआ। इससे बांग्ला भाषा पर फारसी और अरबी शब्दों का प्रभाव पड़ा। उस काल में कई मुस्लिम कवियों ने बांग्ला में लेखन किया।

आधुनिक बांग्ला का विकास:

19वीं शताब्दी में बांग्ला भाषा का पुनर्जागरण हुआ, जिसे बंगाल पुनर्जागरण (Bengal Renaissance) कहते हैं। इस दौर में बांग्ला गद्य और साहित्य का आधुनिक रूप उभरा।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने बांग्ला भाषा में सरल गद्य लेखन की शुरुआत की। रवींद्रनाथ ठाकुर (Tagore) ने बांग्ला साहित्य को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी काव्य कृति गीतांजलि के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला।

वर्तमान स्थिति:

आज बांग्ला भाषा बांग्लादेश की राष्ट्रीय भाषा है और भारत के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम के कुछ भागों में प्रमुख भाषा के रूप में बोली जाती है। यह साहित्य, संगीत, सिनेमा और पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहद समृद्ध है।


संक्षेप में: बांग्ला भाषा एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध भाषा है, जिसने समय के साथ अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, परन्तु आज भी यह गर्व से अपने अस्तित्व को बनाए रखे हुए है।


तमिल भाषा का इतिहास

 तमिल भाषा का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। यह विश्व की सबसे पुरानी जीवित भाषाओं में से एक मानी जाती है। आइए इसके इतिहास को संक्षेप में समझते हैं:

1. प्रारंभिक काल (ईसा पूर्व 500 - ईसा पूर्व 100)

तमिल भाषा की उत्पत्ति द्रविड़ भाषा परिवार से मानी जाती है। तमिल का सबसे पहला लिखित रूप संगम साहित्य में मिलता है, जो लगभग 2300-2000 वर्ष पुराना है। इसे संगम युग कहा जाता है। इस काल में प्रेम, युद्ध, समाज, प्रकृति आदि विषयों पर सुंदर कविताएँ लिखी गईं।

2. संगम काल (300 ईसा पूर्व - 300 ईस्वी)

यह तमिल साहित्य का स्वर्ण युग माना जाता है। इस युग के प्रमुख ग्रंथों में एतुत्तोकाई, पट्टुपाट्टु, और तोल्काप्पियम प्रमुख हैं। तोल्काप्पियम तमिल व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।

3. मध्यकाल (600 ईस्वी - 1200 ईस्वी)

इस काल में भक्ति आंदोलन का प्रभाव पड़ा। नयनार (शैव भक्त) और आलवार (वैष्णव भक्त) कवियों ने तमिल में कई भक्ति गीत रचे। उदाहरण के लिए:

  • तिरुवासगम (मणिक्कवाचार द्वारा)
  • नालायिर दिव्य प्रबंधम (आलवार संतों द्वारा)

4. नवीन काल (1200 ईस्वी - 1800 ईस्वी)

इस समय तमिल भाषा पर संस्कृत का प्रभाव दिखने लगा। कई धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ तमिल में लिखे गए। चोल, पांड्य, और विजयनगर साम्राज्य के संरक्षण में तमिल साहित्य फला-फूला।

5. आधुनिक काल (1800 ईस्वी - वर्तमान)

ब्रिटिश शासन के दौरान तमिल में अखबार, पत्रिकाएँ, और उपन्यास लिखे जाने लगे। उम्मू सुगुननार, भारतिदासन, सुब्रमण्य भारती जैसे लेखकों ने आधुनिक तमिल साहित्य को नई दिशा दी।

6. वर्तमान स्थिति

आज तमिल भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है और तमिलनाडु राज्य की प्रमुख भाषा है। तमिल को संयुक्त राष्ट्र द्वारा क्लासिकल लैंग्वेज (Classical Language) का दर्जा प्राप्त है। श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर और दुनिया के अन्य हिस्सों में भी तमिल भाषी बड़ी संख्या में हैं।


संक्षेप में:
तमिल भाषा की जड़ें प्राचीन इतिहास में हैं। यह साहित्य, व्याकरण और संस्कृति की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है और आज भी अपने मूल स्वरूप को सजीव रूप में बनाए हुए है।


"क्या हिन्दी राष्ट्रभाषा है?"

 "क्या हिन्दी राष्ट्रभाषा है?" इस प्रश्न का उत्तर ऐतिहासिक और संवैधानिक दृष्टि से दिया जा सकता है।

हिन्दी और भारतीय संविधान: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। साथ ही, देवनागरी लिपि को हिन्दी की लिपि के रूप में मान्यता दी गई है। इसका मतलब है कि भारत सरकार का आधिकारिक कार्य हिन्दी में किया जा सकता है।

राष्ट्रभाषा बनाम राजभाषा:

  • भारत में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है, न कि राष्ट्रभाषा का।
  • राष्ट्रभाषा शब्द का प्रयोग संविधान में कहीं स्पष्ट रूप से नहीं किया गया है।
  • भारत एक बहुभाषी देश है, जिसमें कई भाषाएँ बोली जाती हैं और संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है।

वास्तविक स्थिति:

  • हिन्दी देश के अधिकांश भागों में बोली और समझी जाती है।
  • उत्तर भारत में हिन्दी का व्यापक प्रयोग है।
  • परंतु दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में स्थानीय भाषाओं का अधिक प्रभाव है।

निष्कर्ष: हिन्दी भारत की राजभाषा है, परन्तु इसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रभाषा घोषित नहीं किया गया है। लेकिन हिन्दी पूरे भारत की भाव भाषा भी है, यही कारण है कि जन मानस इसे व्यापक रूप से राष्ट्रभाषा मानता है।


हिन्दी भाषा का इतिहास

 


हिन्दी भाषा का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विस्तृत है। इसका उद्भव भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं के विकास क्रम से हुआ। हिन्दी की विकास यात्रा को मुख्यतः तीन प्रमुख चरणों में बाँटा जाता है:

1. प्रारंभिक अवस्था (आदि काल)

यह काल 7वीं से 10वीं शताब्दी तक माना जाता है। इस समय अपभ्रंश भाषाओं का प्रभाव था, जो संस्कृत और प्राकृत से विकसित हुई थीं। यही अपभ्रंश भाषाएँ आगे चलकर हिन्दी की आधारशिला बनीं।

2. मध्यकाल (भक्ति काल और रीतिकाल)

13वीं से 18वीं शताब्दी तक हिन्दी साहित्य का स्वर्णिम युग रहा।

भक्ति काल (14वीं-17वीं शताब्दी): इस दौर में कबीर, तुलसीदास, सूरदास, मीरा बाई जैसे महान कवियों ने जनभाषा में काव्य रचनाएँ कीं। अवधी और ब्रजभाषा प्रमुख थीं।

रीतिकाल (17वीं-18वीं शताब्दी): इस काल में श्रृंगार रस प्रधान रचनाएँ लिखी गईं। बिहारी, केशवदास, भूषण आदि रीतिकालीन कवि प्रमुख हैं।

3. आधुनिक काल

19वीं शताब्दी से हिन्दी ने एक नई दिशा पकड़ी। भारत में राष्ट्रीय चेतना के साथ हिन्दी को एक संपर्क भाषा के रूप में पहचान मिली।

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को आधुनिक हिन्दी साहित्य का जनक कहा जाता है।

20वीं शताब्दी में महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा जैसे लेखकों ने हिन्दी गद्य और पद्य को नई ऊँचाइयाँ दीं।

स्वतंत्रता के बाद

1949 में हिन्दी को भारत के संविधान में राजभाषा का दर्जा मिला। इसके बाद हिन्दी का प्रसार शैक्षणिक, प्रशासनिक और तकनीकी क्षेत्रों में निरंतर बढ़ा।

संक्षेप में:

हिन्दी भाषा का इतिहास संस्कृत से लेकर आधुनिक हिन्दी तक एक निरंतर विकास यात्रा है, जिसमें जनभाषा, साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रीय एकता के स्वर मुखरित होते रहे हैं।


Thursday, 20 March 2025

उज़्बेकिस्तान का इतिहास




उज़्बेकिस्तान का इतिहास बहुत ही समृद्ध और विविधतापूर्ण रहा है। यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही सभ्यताओं, साम्राज्यों और व्यापार मार्गों का केंद्र रहा है। आइए इसे संक्षेप में देखें:

प्राचीन काल:

प्रारंभिक सभ्यताएँ: उज़्बेकिस्तान की भूमि में बख्त्रिया और सोगडियाना जैसी प्राचीन सभ्यताएँ फली-फूलीं। यहाँ के लोग कृषि, व्यापार और शिल्पकला में निपुण थे।

सिल्क रोड (रेशम मार्ग): उज़्बेकिस्तान ऐतिहासिक रूप से सिल्क रोड का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, जिससे चीन, भारत, पर्शिया और यूरोप के बीच व्यापार होता था। समरकंद और बुखारा प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र थे।

मध्यकालीन काल:

अरब आक्रमण: 8वीं शताब्दी में अरबों ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ।

सामानिद वंश: 9वीं-10वीं शताब्दी में सामानी साम्राज्य का उदय हुआ, जिसने इस क्षेत्र में फारसी संस्कृति और इस्लामी कला को बढ़ावा दिया।

मंगोल आक्रमण: 13वीं शताब्दी में चंगेज खान के नेतृत्व में मंगोलों ने इस क्षेत्र को जीत लिया।

तैमूर वंश (टीमुरिड साम्राज्य): 14वीं शताब्दी में तैमूर (तमेरलेन) ने समरकंद को अपनी राजधानी बनाया और एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उनके शासनकाल में समरकंद कला, वास्तुकला और विज्ञान का केंद्र बन गया।

आधुनिक काल:

खानतों का युग: तैमूरी साम्राज्य के पतन के बाद, बुखारा, खिवा और खोरेज्म जैसे कई स्थानीय खानत स्थापित हुए।

रूसी साम्राज्य का नियंत्रण: 19वीं सदी में रूस ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। धीरे-धीरे उज़्बेकिस्तान रूसी साम्राज्य का हिस्सा बन गया।

सोवियत काल:

सोवियत संघ में शामिल: 1924 में उज़्बेक सोवियत समाजवादी गणराज्य का गठन हुआ और यह सोवियत संघ का हिस्सा बन गया। सोवियत युग में औद्योगीकरण, कपास उत्पादन और बुनियादी ढांचे में विकास हुआ, लेकिन स्थानीय संस्कृति और परंपराओं पर प्रतिबंध लगे।

स्वतंत्रता:

स्वतंत्रता प्राप्ति: 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद उज़्बेकिस्तान ने स्वतंत्रता प्राप्त की।

आधुनिक उज़्बेकिस्तान: स्वतंत्रता के बाद इस्लाम करीमोव देश के पहले राष्ट्रपति बने। उनके नेतृत्व में देश ने स्थिरता बनाए रखी, हालांकि आलोचकों ने मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता जताई। 2016 में करीमोव की मृत्यु के बाद शावकत मिर्ज़ियोयेव राष्ट्रपति बने और उन्होंने कुछ सुधारवादी नीतियाँ अपनाई।

प्रमुख ऐतिहासिक नगर:

समरकंद, बुखारा, खिवा, और ताशकंद (राजधानी) - ये सभी शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।


Two days online international Conference

 International Institute of Central Asian Studies (IICAS), Samarkand, Uzbekistan (by UNESCO Silk Road Programme ) Alfraganus University, Tas...