Wednesday, 19 August 2009

अभिलाषा 17

शव यात्रा मेरी जब निकले ,

तब राम नाम की सत्य ना कहना ।

प्रेम को कहना अन्तिम सच ,

प्रेमी कहना मुझे प्रिये ।

अभिलाषा

दिल पे अंधेरे का डर सा है /

दिल पेAlign Centre अंधेरे का डर सा है ;
ख्वाबों में भी उजाला कम सा है ;
उलझन नही है उससे दुरी की ;
मोहब्बत का नशा भी कम सा है /
ह्रदय की गहराईयों में एक चुभन सी है ;
मन की उचाईयों में हँसी नम सी है ;
भरोसा कैसे न करे अपनी मोहब्बत पे ;
उसके न होने पे ये मुस्कराहट भी गम सी है /

Sunday, 16 August 2009

वक्त इंतजार नही करता ,

वक्त इंतजार नही करता ,
किसी से करार नही करता ;
वो मिलाएगा चंद कदम तेरे कदमों से ,
पर वो किसी के साथ नही चलता ;

गुजरते लम्हों संग रास्ता तय कर सके गर तुम ,
कुछ खोये लम्हों का वो हिसाब नही करता ;
समय के साथ चल सके अगर तुम ,
वो जिंदगी कभी बदहवास नही करता ;

वक्त इन्तजार नही करता ;
किसी से करार नही करता /

अभिलाषा-१४


बीच जवानी बचपन में,


हम दोनों फ़िर जो जा पाते ।




तो गुड्डे -गुडियों के जैसे,



रचा ब्याह हम लेते प्रिये ।

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अभिलाषा-१३

अनजानी सी राह में कोई,

हम दोनों यदि फ़िर मिल जाएँ,

नजरे झुका कर अपनी तुम,

कर लेना मुझे स्वीकार प्रिये ।

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अभिलाषा १२


सब कहते हैं प्रेम करो,

पर प्रेम बड़ा ही मुश्किल है ।

प्रेम सदा देना ही देना ,

लेना इसमे कुछ ना प्रिये ।


---------------------------------------------अभिलाषा
फोटो लिंक-http://http://www.kaemmerling.com/blog/files/admin_ib03.jpg

अभिलाषा -११


प्रेम भरे हर मन के अंदर,

मानवता के बीज पड़े ।

इर्ष्या,द्वेष,घ्रीणा,कुंठा से,

ऐसा मन अनजान प्रिये ।

अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष

          अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष डॉ. मनीष कुमार मिश्रा प्रभारी – हिन्दी विभाग के एम अग्रवाल कॉलेज , कल्याण पश्चिम महार...