शव यात्रा मेरी जब निकले ,
तब राम नाम की सत्य ना कहना ।
प्रेम को कहना अन्तिम सच ,
प्रेमी कहना मुझे प्रिये ।
अभिलाषा
शव यात्रा मेरी जब निकले ,
तब राम नाम की सत्य ना कहना ।
प्रेम को कहना अन्तिम सच ,
प्रेमी कहना मुझे प्रिये ।
अभिलाषा
हम दोनों फ़िर जो जा पाते ।
तो गुड्डे -गुडियों के जैसे,
रचा ब्याह हम लेते प्रिये ।
---------------------------------अभिलाषा
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