अभिलाषा -५०२ 
एक शमा को फिर देखा 
परवाने की नज़रों से.
फिर से जलजाना है किस्मत,
और न दूजी राह प्रिये.   
 हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग  : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं ''  इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है.  विश्विद्यालय अनुदान आयोग    द्वारा  इस संगोष्ठी को संपोषित  किया जा सके इस सन्दर्भ में  औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
           आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग  : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं ''  इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है.  विश्विद्यालय अनुदान आयोग    द्वारा  इस संगोष्ठी को संपोषित  किया जा सके इस सन्दर्भ में  औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.  आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग  : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं ''  इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है.  विश्विद्यालय अनुदान आयोग    द्वारा  इस संगोष्ठी को संपोषित  किया जा सके इस सन्दर्भ में  औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
           आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग  : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं ''  इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है.  विश्विद्यालय अनुदान आयोग    द्वारा  इस संगोष्ठी को संपोषित  किया जा सके इस सन्दर्भ में  औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.  आप बनारस हिन्दू विस्वविद्यालय के विद्यार्थी  रहे हैं. आचार्य हजारी प्रसाद दिवेदी के प्रिय छात्रों में से आप एक थे. आचार्य जी ने ही आप को साहित्य की तरफ आगे बढ़ाया . आप की प्रारंभिक नौकरी में भी आचार्य जी का विशेष योगदान रहा. उन्ही के कहने  पर आप ने '' अमेठी और अमेठी राजवंश के कवि'' इस विषय पर अपना शोध कार्य पूर्ण किया. आप अमेठी राजपरिवार के बड़े करीबी रहे. लेकिन अपने घर-परिवार के करीब रहने की इच्छा से आप नौकरी के लिए, सिंगरामऊ के प्रतिष्ठित  राजा हरपाल सिंह डिग्री कालेज  में आ गए. आप का पैत्रिक निवास यंहा से १२-१५ की.मी. ही था. बदलापुर से इलाहबाद वाली सड़क पर ,बदलापुर से ०४ की.मी. की दूरी पर आप का गाँव था. गाँव सुलेमपुर.आप का परिवार परिसर के प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है.  आप ने अपने व्यवहार और कार्य से इस परिवार की प्रतिष्ठा को खूब बढाया. आप के पीछे  आप का भरा-पुरा परिवार रह गया है.  आप की ०३ लडकियां हैं, जो विवाह के बाद अपने-अपने  परिवार में रह रंही हैं. आप के ०३ पुत्रों में सबसे बड़े श्री के. पी. मिश्र जी वर्तमान में  कानपुर में उद्योग      महाप्रबंधक    के रूप में कार्य रत हैं. आप के दूसरे  पुत्र  झाँसी  के बी .के.डी. कॉलेज  में उप -प्राचार्य  के रूप में कार्य रत  हैं. आप के अंतिम  पुत्र  श्री ब्रजेश  मिश्र जी वर्तमान में लखनऊ  में जज  के रूप में कार्य रत  हैं. पत्नी  श्यामा  देवी  और पूरा  परिवार आप के अचानक चले  जाने  से आहत  है.
       आप बनारस हिन्दू विस्वविद्यालय के विद्यार्थी  रहे हैं. आचार्य हजारी प्रसाद दिवेदी के प्रिय छात्रों में से आप एक थे. आचार्य जी ने ही आप को साहित्य की तरफ आगे बढ़ाया . आप की प्रारंभिक नौकरी में भी आचार्य जी का विशेष योगदान रहा. उन्ही के कहने  पर आप ने '' अमेठी और अमेठी राजवंश के कवि'' इस विषय पर अपना शोध कार्य पूर्ण किया. आप अमेठी राजपरिवार के बड़े करीबी रहे. लेकिन अपने घर-परिवार के करीब रहने की इच्छा से आप नौकरी के लिए, सिंगरामऊ के प्रतिष्ठित  राजा हरपाल सिंह डिग्री कालेज  में आ गए. आप का पैत्रिक निवास यंहा से १२-१५ की.मी. ही था. बदलापुर से इलाहबाद वाली सड़क पर ,बदलापुर से ०४ की.मी. की दूरी पर आप का गाँव था. गाँव सुलेमपुर.आप का परिवार परिसर के प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है.  आप ने अपने व्यवहार और कार्य से इस परिवार की प्रतिष्ठा को खूब बढाया. आप के पीछे  आप का भरा-पुरा परिवार रह गया है.  आप की ०३ लडकियां हैं, जो विवाह के बाद अपने-अपने  परिवार में रह रंही हैं. आप के ०३ पुत्रों में सबसे बड़े श्री के. पी. मिश्र जी वर्तमान में  कानपुर में उद्योग      महाप्रबंधक    के रूप में कार्य रत हैं. आप के दूसरे  पुत्र  झाँसी  के बी .के.डी. कॉलेज  में उप -प्राचार्य  के रूप में कार्य रत  हैं. आप के अंतिम  पुत्र  श्री ब्रजेश  मिश्र जी वर्तमान में लखनऊ  में जज  के रूप में कार्य रत  हैं. पत्नी  श्यामा  देवी  और पूरा  परिवार आप के अचानक चले  जाने  से आहत  है.  हम लोगों को छोड़ कँही, चले गए हैं बाबू जी
 हम लोगों को छोड़ कँही, चले गए हैं बाबू जी राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर... 1.तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो 2.गुलाब, ख़्वाब, ...