ONLINE HINDI JOURNAL
Friday, 8 April 2011
एक शमा को फिर देखा
अभिलाषा -५०२
एक शमा को फिर देखा
परवाने की नज़रों से.
फिर से जलजाना है किस्मत,
और न दूजी राह प्रिये.
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