'Is Bar Tumhare Shahar Men', (This Time in Your City) is a collection of 60 poems by Dr. Manish. The book is published by ShabdShrishti Publications. Foreword of the book is penned by eminent writer Shree Ramdarash Mishra.
Thursday, 4 May 2023
the poet is on a journey/इस बार तुम्हारे शहर में
Wednesday, 3 May 2023
गांधी जी के तीन बंदर
02 अक्टूबर को इसबार भी
राजघाट पर सुबह सुबह
गांधी जी के तीनों बंदर आए
मगर बदले बदले से
उनके मिजाज़ नज़र आए।
पहले बंदर ने
बापू को पुष्प अर्पित करते हुए कहा
बापू तेरे सत्य और अहिंसा के हथियार
अब किसी काम नहीं आ रहे हैं
इसलिए हम भी आजकल AK 47 चला रहे हैं।
दूसरा बंदर बोला
बापू
बुरा मत देखो, बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो
का तेरा मंत्र भी फेल हो गया है
अच्छा देखने, बोलने और सुनने को
सालों से तरस गया हूं ।
इसलिए मैं भी
तुम्हारी बात नहीं मान रहा हूं
लेकिन बापू
इस तरह बहुत माल कमा रहा हूं।
तीसरा बंदर बोला
बापू तेरे नाम का धंधा
अब खूब चल रहा है
हर सफ़ेदपोश कातिल
तेरे नाम के पीछे छुप रहा है।
इसलिए बापू
मैं भी तेरे नाम के पीछे
सारे बुरे काम कर रहा हूं
बापू
इस तरह बड़े आराम से जी रहा हूं।
बापू ने तीनों को सुना
और दुखी मन से बोले
पहले मुझे मारा
अब मेरे विचार मारे जा रहे हैं
ये मेरे अपने ही तो हैं
जो मेरे नाम का व्यापार कर रहे हैं।
लेकिन याद रखो
सत्य और अहिंसा के विचार
कभी मर नहीं सकते
मेरे कहे शब्द
कभी कट नहीं सकते
हर भीषण युद्ध के बाद
जब भी शांति की सोचोगे
यहीं इसी राजघाट पर
आकर खूब रोओगे ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
तुम्हें शायद याद हो
02. तुम्हें शायद याद हो ।
तुम्हें शायद याद हो
नवंबर की वो मुलाकातें
न खत्म होने वाली बातें
मेरे आग्रह पर
तुम्हारे मीठे गीत
पुरानी बातों पर
तुम्हारा रूठना
मेरा मानना
तुम्हारे आसूं, तुम्हारी मुस्कान
उन सर्दियों में
मेरी कशिश
तुम्हारी तपिश
और ढेर सारे अचार के साथ
तुम्हारे पसंदीदा
वो आलू के पराठे
तुम्हारी जानलेवा
नमकीन मुस्कान के साथ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
Tuesday, 2 May 2023
विलक्षणा साहित्यिक मंच, रोहतक द्वारा आयोजित "विलक्षणा अखिल भारतीय कहानी एवं कविता प्रतियोगिता 2023
*विलक्षणा साहित्यिक मंच, रोहतक द्वारा आयोजित "विलक्षणा अखिल भारतीय कहानी एवं कविता प्रतियोगिता 2023*" में आपकी रचनाएं आमन्त्रित की जाती हैं।
विजेताओं को निम्न राशि के नकद पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किये जायेंगे-
*कहानी प्रतियोगिता*
1- प्रथम पुरस्कार रुपए 2100/-
(विलक्षणा साहित्य रत्न सम्मान)
2- द्वितीय पुरस्कार रुपए 1100/-
(विलक्षणा साहित्य भूषण सम्मान)
3- तृतीय पुरस्कार रुपए 500/-
(विलक्षणा साहित्य श्री सम्मान)
*पांच सांत्वना पुरस्कार*
प्रत्येक रुपये 200/-
(विलक्षणा साहित्य सेवी सम्मान)
*कविता प्रतियोगिता*
1- प्रथम पुरस्कार रुपए 2100/-
(पंडित जगन्नाथ कवि शिरोमणि सम्मान)
2- द्वितीय पुरस्कार रुपये 1100/-
(विलक्षणा काव्य रत्न सम्मान)
3- तृतीय पुरस्कार 500/-
(विलक्षणा काव्य भूषण सम्मान)
*पांच सांत्वना पुरस्कार*
प्रत्येक रुपये 200/-
(विलक्षणा काव्य श्री सम्मान)
*रचना प्रेषित करने के नियम निम्न प्रकार हैं*
1- कहानी/कविता हिंदी भाषा में A-4 साइज पेपर पर शुद्ध रूप से कोकिला, मंगल अथवा कृतिदेव के 14 फॉन्ट साइज़ में टंकित होनी चाहिए।
2- कहानी (विषयमुक्त) अधिकतम 2500 शब्दों की हो।
3- कविता (विषय मुक्त) अधिकतम 20 पंक्तियों की हो।
4- *अंतिम तिथि 31 मई 2023 के पश्चात प्राप्त रचनाओं को स्वीकार नहीं किया जाएगा।*
6- रचना के साथ स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित व अप्रसारित होने का प्रमाण पत्र आवश्यक रूप से संलग्न करना होगा।
7- रचना पर कहीं भी अपना नाम, पता, मोबाइल नम्बर अंकित नहीं करें।
8- मौलिकता के प्रमाण-पत्र के साथ ही कहानी/कविता का शीर्षक, अपना नाम, पता, मोबाइल नम्बर ज़रूर अंकित करें।
9- *सहभागिता शुल्क एक विधा के लिए 250 व दोनों विधाओं(कहानी एवं कविता) के लिए रुपये 400/- ।*
10- सहभागिता शुल्क प्राप्त होने के पश्चात ही आपको विलक्षणा अखिल भारतीय कहानी/कविता प्रतियोगिता 2023 में शामिल होने का अवसर दिया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में शुल्क लौटाया नहीं जाएगा।
11- आप अपनी रचनाओं की हार्ड कॉपी आवश्यक रूप से *कोरियर/पंजीकृत डाक* के माध्यम से ही भेजें।
12- *इस प्रतियोगिता का परिणाम जून 2023 के अंतिम सप्ताह तक घोषित किया जाएगा। एक भव्य कार्यक्रम में इस प्रतियोगिता के विजेताओं को नकद राशि, स्मृति चिन्ह व प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा तथा विजेताओं को स्वंय उपस्थित होकर यह सम्मान ग्रहण करना होगा अन्यथा चयन रद्द माना जाएगा। सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता/सहभागिता का ई प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।*
13- बाहर से आने वाले विजेताओं/प्रतिभागियों को अपने खर्चे से ही आना व जाना होगा तथा रहने की व्यवस्था स्वयं करनी होगी ।
14- *कार्यक्रम की सूचना 1 महीने पहले दी जाएगी तथा कार्यक्रम में दोपहर के भोजन की व्यवस्था संस्था की ओर से की जाएगी ।*
15- *रचनाएं प्रेषित करने का पता-*
डॉ विकास शर्मा C/o लक्ष्मी इलेक्ट्रिकल्स,
नजदीक केडीएम स्कूल एवं साईं मंदिर,
फ्रेंड्स कॉलोनी, सोहना - 122103
मोबाइल - 9996737200
*रचनाएं हार्ड कॉपी में ही कोरियर या रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित करें ।*
*रचनाएं दिनांक 31 मई 2023 शाम 5.00 बजे तक दिये गए पते पर प्राप्त हो जानी चाहिए।*
*सहभागिता शुल्क संस्था के खाते में जमा करें तथा स्क्रीन शॉट या रसीद की फोटो कॉपी रचना के साथ संलग्न करें।*
*बैंक विवरण*
विलक्षणा एक सार्थक पहल समिति
खाता संख्या- 211101001641
Ifsc- ICIC0002111
Bank- ICICI
Branch- CHARKHI DADRI
*शुल्क जमा करवाकर उसका स्क्रीन शॉट या रसीद का फोटो 9996737200 पर व्हाट्सएप भी करें।*
*निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम होगा।*
किसी भी जानकारी के लिए *9996737200* पर सम्पर्क करें।
*डॉ विकास शर्मा*
*संस्थापक-अध्यक्ष*
*विलक्षणा साहित्यिक मंच, रोहतक*
https://chat.whatsapp.com/Hx9LGbFENrL1BbsHzuopvD
केंद्रीय हिंदी संस्थान : ‘भारतीय भाषा परिसंवाद-हिंदी और तेलुगु’
केंद्रीय हिंदी संस्थान : ‘भारतीय भाषा परिसंवाद-हिंदी और तेलुगु’ https://telanganasamachar.online/seminar-on-indian-language-symposium-hindi-and-telugu-at-central-hindi-institute/विषयक गोष्ठी में इन बुद्धिजीवियों ने दिया यह संदेश
ग़ालिब
#ताज_छीन_कर_क़लम_थमा_दिया
गुहर अज़ रायते-शाहाने-अजम बर चीदन्द
ब एवज़ ख़ामए-गंजीना-फ़िशानम् दादन्द
अफ़सर अज़ तारके-तुर्काने-पशंगी बुर्दन्द
ब सुख़न नासिअए-फ़र्रे-कियानम् दादन्द
गौहर अज़ ताज गुसिस्तन्द व ब दानिश बस्तन्द
हर्चे बुर्दन्द ब पैदा ब निहानम् दादन्द
~ग़ालिब
گہر از رایت شاھان عجم بر چیدند
بعوض خامہء گنجینہ فشانم دادند
افسر از تارک ترکان پشنگی بردند
بہ سخن ناصیہء فر کیانم دادند
گوھر از تاج گسستند و بدانش بستند
ھرچہ بردند بہ پیدا بہ نہانم دادند
~غالب
The pearl has been taken away from the royal standard of Persia and in exchange a pearl-strewing pen was given to me. The crown has been torn away from the head of the Turks of Pashang, and the flaming-Glory of the Kais was transformed, in me, into poetry!
The pearl was taken away from the crown and was set in wisdom: what they outwardly took away, was given to me in secret.
[ translated by Ralph Russell]
SPICMACAY is organizing its 8th International Convention
Namaste 🙏 from SPICMACAY 🙂
SPICMACAY is organizing its 8th International Convention -
Dates : *29th May to 4th June*
Venue : *VNIT Nagpur*
*1200 Students* from 250 educational institutes across India will participate in this Residential Immersive experience and come in close interaction with the *greatest Gurus of Indian Classical Arts, Music, Dance, Folk, Crafts, Yoga* and more
We are Inviting your esteemed Institute to take this opportunity to send selected students from your institute for this 7-day experience which is completely free of cost.
We are hosting an *Virtual Orientation for Principals, Faculty members & Educationists* on -
*Thursday 6th April*
*Morning 10am to 11am*
*Zoom Link* - https://bit.ly/smlivezoom
We request you or any other concerned Faculty member from your Institute to join this orientation to learn more about this Convention.
Please reply to this message confirming your presence.
Link for registering as a participating institute( PI) for the convention : https://bit.ly/sminternationalconvention2023
If you are not able to join but are interested to know more, please reply to this message. 🙂 We will be happy to share more information.
Thank you & Regards,
SPICMACAY
Also sharing here :
1) Formal Invitation Letter for your Institute
2) Video Teaser of the Convention
3) Poster of the Convention
Morning Quotes
: Waking up this morning, I smile. 24 brand new hours are before me. I vow to live fully in each moment….Good Morning 🌹
: A happy person is happy, not because everything is right in his life. He is happy because his attitude towards everything in his life is right….Good Morning 🌹🌹🌹
: Two things define you:
1. Your patience when you have nothing.
2. Your attitude when you have everything.
..Good Morning 🌹🌹🌹
: Most obstacles melt away when we make up our minds to walk boldly through them….Good Morning 🌹🌹🌹
: The difference between winning and losing is most often not quitting….
🌹🌹Good Morning 🌹🌹
: Courage is grace under pressure…🌹🌹Good Morning 🌹🌹:
Never give up on a dream because of the time it will take to accomplish. The time will pass anyway….
🌹🌹Good Morning 🌹🌹
: Develop success from failures. Discouragement and failure are two of the surest stepping stones to success.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: Now that your eyes are open, make the sun jealous with your burning passion to start the day. Make the sun jealous or stay in bed.
🌹🌹Good Morning 🌹🌹:
Nobody can go back and start a new beginning, but anyone can start today and make a new ending
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: The morning is good because we remember that no matter what went wrong the previous days, we just got a perfect opportunity to rewrite history and do better
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: "If life were predictable it would cease to be life, and be without flavor."
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: The day will be what you make it, so rise, like the sun, and burn
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹:
Success is not final; failure is not fatal: It is the courage to continue that counts.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
Do not go where the path may lead, go instead where there is no path and leave a trail.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: Being defeated is often a temporary condition. Giving up is what makes it permanent
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹:
Never let the fear of striking out keep you from playing the game.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: It’s Sunday, therefore I am 100% motivated to do nothing today
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹:
In one minute you can change your attitude, and in that minute you can change your entire day.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: An obstacle is often an unrecognized opportunity.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
The line between failure and success is so fine... that we are often on the line and do not know it.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
There was never a night or a problem that could defeat sunrise or hope.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: The importance of good people in our life is just like the importance of heartbeats. It's not visible but silently supports our life.
🌹🌹Good Morning 🌹🌹
: “Be thankful for problems. If they were less difficult, someone with less ability might have your job.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: Be not afraid of going slowly, Be afraid only of standing still.🌹🌹Good Morning 🌹🌹
: People will have you, rate you, shake you, and break you. But how strong you stand is what makes you.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: Even the smallest of thoughts have the potential to become the biggest of successes. All you have to do is get up and get going.
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
: “It is a serious thing – just to be alive – on this fresh morning – in this broken world.”
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
Every morning you have two choices: Continue to sleep with your dreams, or wake up and chase them
🌹🌹 Good Morning 🌹🌹
दया प्रकाश सिन्हा के जन्मदिन पर डॉ हर्षा त्रिवेदी का महत्वपूर्ण आलेख
मंच के पुजारी : दया प्रकाश सिन्हा
- डॉ.हर्षा त्रिवेदी
विवेकानन्द इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज
नई दिल्ली
आज 2 मई, प्रसिद्ध नाटककार और पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार दया प्रकाश सिन्हा जी का जन्मदिन है। दया प्रकाश जी के साहित्य पर मेरा यह शोध आलेख प्रस्तुत है ।
आदरणीय दया प्रकाश सिन्हा जी को जन्मदिन की अनंत शुभ कामनाएं।
हिन्दी साहित्य का अपना समृद्ध इतिहास है। साहित्य की विभिन्न विधाओं में नाटक का महत्वपूर्ण स्थान है। वस्तुतः नाटक एक कला है। संगीत, नृत्य, चित्रांकन, रंगाकन के समान ही एक कला होते हुए भी नाट्य-कला इन कलाओं से भिन्न है। नाटक एक द्वि-आयामी कला विधा है। जो कला के साथ साहित्य भी है। कुछ नाटक ऐसे होते हैं, जो साहित्य की दृष्टि से तो श्रेष्ठ होते हैं, किन्तु रंगमंच पर उनकी प्रस्तुतियाँ असफल सिद्ध होती हैं। साथ ही कुछ नाटक ऐसे होते हैं, जो रंगमंच पर तो अत्यन्त सफल सिद्ध होते हैं, किन्तु उनमें साहित्यगत मूल्यों का नितान्त अभाव होता है। अतः नाटक की सफलता के लिए साहित्यगत मूल्यों के साथ-साथ मंचसिद्ध होना भी अनिवार्य है।
दया प्रकाश सिन्हा हिन्दी के वर्तमान नाटककारों में एकमात्र ऐसे नाटककार हैं, जो निर्देशक के रूप में भी रंगमंच से संबंद्ध हैं। वे प्रकाशन के पूर्व, अपने नाटकों को स्वयं निर्देशित करके, मंचसिद्ध करते हैं। यही तथ्य उनको अन्य नाटककारों से अलग पहचान देता है।
दयाप्रकाश सिन्हा नाम के इस युवा कला-साधक का जन्म पश्चिमी उŸार प्रदेश के एटा ज़िले के कासगंज कस्बे में 2 मई, 1935 को हुआ। पिता श्री अयोध्यानाथ सिन्हा सरकारी सेवा में थे, और माता का नाम श्रीमती स्नेहलता। बचपन से ही सिन्हा जी की नाटक एवं रंगमंच में विशेष रूचि रही है। उनके नाटकों में इतिहास चक्र, ओह अमेरिका, कथा एक कंस की, सीढ़ियाँ, इतिहास, अपने-अपने दाँव, रक्त अभिषेक (प्रकाशित) एवं मन के भँवर, मेरे भाई : मेरे दोस्त, सादर आपका, सांझ-सवेरा, पंचतंत्र लघुनाटक (बाल-नाटक), हास्य एकांकी संग्रह, दुश्मन (प्रकाशनाधीन) आदि प्रमुख है।
सत्य-असत्य, हिंसा-अहिंसा, राजनीतिक कूचक्र, पीढी-अन्तराल आदि अनेक ऐसे प्रश्न है, जिनसे हम जूझ रहे हैं। यह हमारी ‘विशेषता‘ है या ‘विवशता‘ ? इन प्रश्नों को दयाप्रकाश जी ने अपनी समर्थ लेखन-शक्ति द्वारा रूपायित किया है। इनके नाटकों में वर्तमान घटनाक्रम को इस तरह पिरोया गया है कि पाठक के मस्तिष्क में परिस्थितियाँ जीवन्त हो उठती हैं।
सिन्हा जी समाज-इतिहास-राजनीति को दूरदर्शी यन्त्र से देखते हैं। इनके नाटकों में शाश्वत नैतिक मूल्य और समकालीन भौतिक मूल्यों के संघर्ष को रूपायित किया गया है। संरचना के स्तर पर भी दयाप्रकाश सिन्हा के नाटकों का अध्ययन महŸवपूर्ण है। रंगमंच की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए सिन्हा जी ने ऐसे नाटक लिखे जो केवल एक ही दृश्यबन्ध पर मंचस्थ हो सके।
समकालीन विसंगत परिवेश में उलझे और परिस्थितियों के चक्रव्यूह में फँसकर टूटते हुए मनुष्य को वे कभी ऐतिहासिक पौराणिक संदर्भों के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं तो कभी सामाजिक विसंगतियों से सीधा साक्षात्कार भी कराते हैं। कभी व्यक्ति के अन्तर्मन और उसके स्वार्थी चरित्र को दृश्यत्व देते हैं तो कभी उनकी दृष्टि पाश्चात्य सभ्यता के अन्धानुकरण से उत्पन्न असहज स्थितियों और उनके परिणामों से उत्पन्न खीझ और व्याकुलता के साथ-साथ पीढ़ियों की वैचारिक टकराहटों और हताशा पर भी केन्द्रित हुयी है। सिन्हा जी ने अपने नाटकों द्वारा व्यापक जीवन-स्थिति एवं शाश्वत जीवन मूल्यों को उद्घाटित किया है। वे वास्तव में जीवन की आस्था के नाटककार हैं।
बाजारीकरण के इस दौर में मनुष्य की भाव संवेदनाओं में व्यापक परिवर्तन आए है। वैचारिक धारणाएँ बदली हैं। इस बदलाव के समय में साहित्य के माध्यम से सुषुप्त संवेदनाओं को पुनर्जाग्रत करने एवं नैतिक मूल्यों की स्थापना में सिन्हा जी के नाटकों का विशिष्ट योगदान है।
सिन्हा जी का जीवनयापन कभी किसी लेखन पर आधारित नहीं रहा। इसलिए लिखना कभी भी उनकी विवशता नहीं रहा। यह उनकी व्यक्तिगत साधना है। उन्होंने जो भी लिखा, अपनी अन्तःप्रेरणा से लिखा उन्होंने अपने को स्थापित करने के उद्देश्य से कभी नहीं लिखा।
उनका ‘इतिहास-चक्र‘ एक युद्ध विरोधी नाटक है। यह नाटक उन कारणों का अध्ययन करता है, जिनके कारण समय-समय पर युद्ध होते रहते है। पुरातन एवं आधुनिक सामाजिक-राजनैतिक व्यवस्था के उस अमानवीय तन्त्र को इसमें रूपायित किया गया है, जिसमें जकड़ा हुआ आम आदमी भूख, अभाव, बेरोजगारी, शोषण और वंचनाओं की मार झेलता हुआ मृत्यु को प्राप्त होता है। ‘ओह ! अमेरिका‘ नाटक विरोध करता है उन तमाम विवेकहीन भारतीयों का जिनके आचरण, व्यवहार एवं दिलो-दिमाग आज भी गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए हैं। नाटक में बताया गया है कि पश्चिम के मूल्यों, व्यवहार एवं संस्कृति की सार्थकता जाने बिना केवल फैशन के वशीभूत होकर उसका अन्धानुकरण नहीं किया जाना चाहिए।
‘कथा एक कंस की‘ नाटक में कंस को गुण-दोषों सहित एक मानव के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया गया है। कंस और रावण जैसे पात्रों को हमेशा विलेन रूप में चित्रित किया गया है य किन्तु सच तो यह है कि कोई भी व्यक्ति न तो शत-प्रतिशत बुरा होता है न ही शत-प्रतिशत अच्छा। आवश्यकता है तो केवल एक नई दृष्टि की जो मानव को पूर्ण रूप में देखे।
इसी प्रकार ‘सीढ़ियाँ‘ नाटक में मुगलकालीन इतिहास के माध्यम से आज के सामाजिक-राजनीतिक समकालीन परिवेश, मूल्यहीनता, संवेदनशून्यता, एवं विकृतियों को प्रकाश में लाने की चेष्टा की गई है तो ‘इतिहास‘ नाटक में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से शुरू हुए ‘इतिहास‘ और गाँधी जी द्वारा देश के विभाजन की स्वीकृति तक के 90 वर्षों के घटनाक्रम को बड़ी कुशलता से स्थान दिया गया है। ‘अपने-अपने दांव‘ एक पारिवारिक सिचुएशनल कॉमेडी है तो साथ ही ‘रक्त अभिषेक‘ नाटक अहिंसा के आधे-अधूरे ज्ञान पर कुठाराघात करता है।
सिन्हा जी के नाटक न केवल सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक परिदृश्य को लेकर लिखे गए बल्कि एक-एक कृति एक-एक प्रतिक्रिया है। साहित्यकार अपने आस-पास के परिवेश और परिस्थितियों से प्रभावित होकर साहित्य सृजन में प्रवृŸा होता है। सिन्हा जी ने भी अपने जीवनानुभवों एवं तत्कालीन परिस्थितियों से प्रेरित होकर अपने नाट्य ग्रन्थों की रचना की है।
सिन्हा जी के नाटक थियेटर के लिए ही हैं। शायद इसलिए कलाकार उन्हें मंच के पुजारी की संज्ञा देते हैं। सिन्हा जी के अनुसार- ‘‘रंगमंच अपने आप में एक लोकतांत्रिक कला है। उसे अपने साथ एक विशाल जनसमूह को लेकर चलना पड़ता है।‘‘ स्पष्ट है कि सिन्हा जी सामाजिक क्रिया की समग्रता एवं विशिष्टता पर बल देते हैं। इसलिए श्री सिन्हा व्यक्ति से ऊपर उठकर संस्था बन जाते हैं, जो अनेक कलाकारों को प्रेरणा एवं प्रोत्साहन भी देते रहते हैं।
सिन्हा जी की रचनाओं के विश्लेषण से यह लगता है कि उनका अपना एक मौलिक चिन्तन है जो कि व्यापक एवं संवेदनात्मक है।
सिन्हा जी ने न केवल राजनीतिक कूचक्र, सामाजिक विसंगतियाँ, संवेदनशून्यता, भ्रष्टाचरण, अहिंसा, युद्ध, साम्प्रदायिकता, भारत-विभाजन जैसे महŸवपूर्ण विषयों पर अपनी लेखनी चलाई है बल्कि उनके निराकरण पर भी दृष्टि रखी है। उनके नाटक दुष्यन्त की इन पंक्तियों को सार्थक सिद्ध करते प्रतीत होते हैं।
‘‘सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।‘‘
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची -
1. इतिहास-चक्र - वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली।
2. ओह अमेरिका - वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली।
3. कथा एक कंस की - वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली।
4. सीढ़ियाँ - वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली।
5. इतिहास - वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली।
6. अपने-अपने दांव - गंगा डिस्ट्रीब्यूटर्स, नई दिल्ली।
7. रक्त-अभिषेक - सामयिक प्रकाशन, नई दिल्ली।
8. समीक्षायन - रवीन्द्रनाथ बहोरे, संजय प्रकाशन, नई दिल्ली।
9. दयाप्रकाश सिन्हा : नाट्य रचनाधर्मिता - प्रो. ए. अच्युतन, परमेश्वरी प्रकाशन, नई दिल्ली।
डॉ.हर्षा त्रिवेदी
सहायक आचार्य
विवेकानन्द इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज
नई दिल्ली।
Malegaon film Management
अलंकार सिद्धांत
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