Monday, 18 May 2009
अभी तो सपना सजाया है ;
अभी ही तुने रुलाया है ;
अभी तो आखें चमकी , अभी तो सांसे बहकी ;
अभी ही अँधेरा छाया, अभी ही तेरे घर से निकला कोई साया ;
अभी तो तु खुल के खिलखिलाया है ,
अभी ही तुने मेरा सपना बिखराया है ;
कदम की लडखडाहट,
तेरे जाने की आहट;
गलें की तल्खियाँ मिटाने दे ;
भावनावों को सिमट जाने दे /
अभी तो सपना सजाया है ;
अभी ही तुने रुलाया है ;

Sunday, 17 May 2009
love you the way you are
in spite of our quarrels and wordily wars ;
the betrayal of emotions ; feeling of loves erosion's ;
the hurt of losing you ;the joy of holding you ;
the times you were not with me ;
the beautiful moments you shared with me ;
in life's ups and down ;
you hold your own;
love you the way you are ;
in spite of our quarrels and wordily wars.

Saturday, 16 May 2009
The election and its verdict
I have my view on this .
There are no of factors which can be attributed for this success of congress. The acceptance of Mr. Manmohan singh as able administrator , his clean image and the toughness shown on Nuclear issue has very vital role in it.The biggest blunder BJP made was targeting of Mr. Manmohan singh as weak Prime minister And personal attack on him by BJP .
And then the rise of Mr. Rahul Gandhi as youth leader and his master stroke of Going solo in U.P. and Bihar .There were many regional issues like MNS in Maharashtra Tamil issue and many other factors .
But one of the major trend is also to go for a government which is pro growth that's a welcome change . Other important thing is rise of national parties or other word leaning of people towards a two national parties Congress and BJP. In-spite of setbacks BJP has done well in no of states .

Friday, 15 May 2009
पपीहे की तरह चाँद ताकता मै रहा ,
अँधेरी गुफा में आसमान ताकता मै रहा /
नखलिस्तान की ओर तेजी से मै दौड़ा ,
मृगतृष्णा थी ,पानी तलाशता मै रहा /
लोग कहते हैं ,उसकी आखों में समुंदर सी गहराई है ;
मै समुन्दर में दिल का रास्ता तलाशता रह गया /
बाँहों में फिर भी भर लेता उसको ऐ यारों ;
मै सामने खड़े बुत में ,जीवन का स्पंदन तलाशता रह गया /

Thursday, 14 May 2009
निकले थे एक ही दिन अलग अलग राहों में ;
कुछ उनके साथ थे ,कुछ और की तलाश थी /
उन मदमस्त हवावों में ,कोहरों के साये में ;
महफिलों में ,जानी अनजानी बाँहों में ;
गा रहे थे पार्टियों में , घूम रहे थे अलमस्त भावों में ;
महफिलों का दौर था , कितने ही रंगों से सराबोर था ;
महक आती थी बातों से ,इठलाती थी शरमा के गालों से ;
खुसबू थी उसके बालों में , वो खुश थी स्वच्छंदता की राहों में /
हम भज रहे थे भगवान को ,तलाश रहे थे स्वयं में इनसान को ;
हाँ लोंगों की भीड़ थी , पर तन्हाई कितनी अभिस्ट थी ;
अपने में खोये थे ,पथरीली चट्टानों पे सोये थे ;
अपने को समेटे हुए , सत की तलाश में रमते हुए ;
भावों को सरलता की चाह दी , मन को भक्ति का भाव दी ;
उन्हें स्वच्छंदता की दरकार थी , कुछ और की तलाश थी /
वो खुश है की महफिलों की जान हैं ;
mai khush हूँ मुजमे एक सरल इन्सान है ;
उनकी भक्ति भी एक विलाश है ;
मेरे लिए भोग भी भक्ति प्रसाद है /
निकले थे एक ही दिन अलग अलग राहों में /

Tuesday, 12 May 2009
अमरकांत के साथ अन्याय क्यो ?
१ जुलाई १९२५ को बलिया मे जन्मे अमरकांत की पहली कहानी १९५३ के आस-पास कल्पना नामक पत्रिका मे छपी । इस कहानी का नाम था -इंटरव्यू । अमरकांत की जो कहानिया बहुत अधिक चर्चित हुई ,उनमे निम्नलिखित कहानियों के नाम लिये जा सकते हैं-
- जिंदगी और जोंक
- डिप्टी कलेक्टरी
- चाँद
- बीच की जमीन
- हत्यारे
- हंगामा
- जांच और बच्चे
- एक निर्णायक पत्र
- गले की जंजीर
- मूस
- नौकर
- बहादुर
- लड़की और आदर्श
- दोपहर का भोजन
- बस्ती
- लाखो
- हार
- मछुआ
- मकान
- असमर्थ हिलता हाँथ
- संत तुलसीदास और सोलहवां साल
इसी तरह अमरकांत के द्वारा लिखे गये उपन्यास निम्नलिखित हैंपत्ता
- कटीली राह के फूल
- बीच की दीवार
- सुखजीवी
- काले उजले दिन
- आकाश पछी
- सुरंग
- बिदा की रात
- सुन्नर पांडे की पतोह
- इन्ही हथियारों से
- ग्राम सेविका
- सूखा पत्ता
- इस तरह करीब १२० से अधिक कहानिया और १२ के करीब उपन्यास अमरकांत के प्रकाशित हो चुके हैं । लेकिन दुःख होता है की इतने बडे कथाकार को हिन्दी साहित्य मे वह स्थान नही मिला जो उन्हे मिलना चाहिये था । आलोचक प्रायः उनके प्रति उदासीन ही रहे हैं । ऐसे मे अब यह जरूरी है की अमरकांत का मूल्यांकन नए ढंग से किया जाए ।
अभिव्यक्ति की विवेचनाएँ
सन्दर्भ की व्याख्याएं --------- समाचार पत्र
हितों का विरोधाभास --------- समाज
सत्य का मिथ्याभास --------- सामाजिकता
व्यक्ति की असमर्थतायें --------- वासनाएं
समाज की विवसतायें --------- भ्रस्टाचार
देश की गतिशीलता --------- चमत्कार
स्वार्थ का हितोपदेश --------- राजनीति
patan ki पराकास्ठा --------- राजनेता
सच्चाई की अनुभूति --------- सपना
सच्चाई की जीत --------- माँ की प्रीती

Monday, 11 May 2009
कुछ के गुजर
कुछ कर गुजर ,
कुछ ऐसा कर ;
सबको नाज हो तुझपे /
डूबते का किनारा बन
भटकते का सहारा बन ,
मरते की साँस बन ;
अपनो की आस बन ;
कुछ कर गुजर ,
कुछ ऐसा कर ;
सबको नाज हो तुझपे /
संत की तलाश बन ,
भक्ति का ज्ञान बन;
ज्ञानी का ध्यान बन ,
सांसारिक का मन बन ;
कुछ कर गुजर ,
कुछ ऐसा कर ;
सबको नाज हो तुझपे /
किसी का स्नेह है तू ,
किसी का ध्येय है तू ;
किसी का दुलार है तू ,
किसी का प्यार है तू ;
किसी का भाग्य है तू,
किसी का अधिकार है तू ;
उठ हिम्मत बाँध ,
टूटे किनारे संभाल ;
साथ बन , विस्वास बन ;
कर ले अपने बस में मन ;
कुछ कर गुजर ,
कुछ ऐसा कर ;
सबको नाज हो तुझपे /

Sunday, 10 May 2009
पूर्वग्रह पत्रिका का प्रकाशन पुनः प्रारम्भ ----------------------
प्रभाकर शोत्रिय जी के सम्पादन मे यह भारतीय भवन ,भोपाल से निकल रही है ।
Saturday, 9 May 2009
हमसफ़र कौन है ,कैसे कहे आज हम ?
hamsafar kaun है, kaise kahen aaj hum ;
रास्तों में भटके हुए हैं, मंजिल की तलाश है /
raston me bahatke huye hain; manjil ki talsh hai /
साथ तेरा सुखमय है , बात तेरी प्रियकर है ;
sath tera sukhmay hai ,bat teri priykar hai ;
कैसे कहें तू है वो हमसफ़र ,जिसकी मुझे तलाश है;
kaise kahen tu hai wo हमसफ़र, jisaki muje talash hai /
मेरी अनिभिज्ञता पे नाराज न हो ;
meri anibhigyta pe naraj na ho ;
पर रास्ते में ही मंजिल का हिसाब ना हो ;
par पर raste रास्ते me hi manjil ka hisab na ho ;
वाकये कितने अभी टकराने हैं ;
wakaye kitane anjane abhi takarane hai;
राहों में अभी फैसलों के वक्त आने हैं ;
rahon me abhi faisalon ke waqt aane hai;
दुविधाएं अभी कहाँ आई ?
duvidhayen abhi kahan aayi ?
जिंदगी की भूलभुलैया कहाँ छाई ?
jindagi ki bhulbuliya kahan chayi?
रिश्तों में गहराईयाँ अभी आनी है;
riston में गहराईयाँ aani hai ?
वो इक समुंदर है ,या बारिश का फैला हुआ पानी है ?
wo ek samunder hai ya barish ka faila huwa पानी hai है ?
कैसे कहें हमसफ़र मिल गया ?
रास्ते में उलझे हैं ;
rasten me ulaje hai ,
मंजिल की तलाश जारी है /
manjil ki talash jari hai /

Friday, 8 May 2009
गुजरा ज़माना , आज का फ़साना /
गुजरा जमाना ,
आज का फ़साना ;
अनकही बातें ,
अधूरे जजबात ,
और वो रात /
अरमानो का मौसम ,
बाहों की जकडन ,
जलता तन ;
बहकता मन ,
सतत प्यास ,
वो भावों का कयास ;
महकी सांसों का बंधन ,
तन से खिलता तन ;
क्या सच क्या सपना ;
रास्ता देखती आखें ,
आखों से आखों की बातें ;
सुबह का इंतजार करती रातें ;
स्पर्श से आल्हादित दिन ,
सामने पाके हर्षित मन ;
प्यार बरसते नयन ,
भावनावों की मदहोशी ;
उसपे तेरी हंसी ,
क्या सच , क्या सपना ;
क्या भाग्य क्या विडम्बना ,
क्या तू है मेरा अपना /

अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष
अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष डॉ. मनीष कुमार मिश्रा प्रभारी – हिन्दी विभाग के एम अग्रवाल कॉलेज , कल्याण पश्चिम महार...

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***औरत का नंगा जिस्म ********************* शायद ही कोई इस दुनिया में हो , जिसे औरत का जिस्म आकर्षित न करता हो . अगर सारे आवरण हटा क...
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जी हाँ ! मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष , जिसके विषय में पद््मपुराण यह कहता है कि - जो मनुष्य सड़क के किनारे तथा...
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Factbook on Global Sexual Exploitation India Trafficking As of February 1998, there were 200 Bangladeshi children and women a...
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अमरकांत की कहानी -जिन्दगी और जोक : 'जिंदगी और जोक` रजुआ नाम एक भिखमंगे व्यक्ति की कहानी है। जिसे लेखक ने मुहल्ले में आते-ज...
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अनेकता मे एकता : भारत के विशेष सन्दर्भ मे हमारा भारत देश धर्म और दर्शन के देश के रूप मे जाना जाता है । यहाँ अनेको धर...
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अर्गला मासिक पत्रिका Aha Zindagi, Hindi Masik Patrika अहा जिंदगी , मासिक संपादकीय कार्यालय ( Editorial Add.): 210, झेलम हॉस्टल , जवा...
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Statement showing the Orientation Programme, Refresher Courses and Short Term Courses allotted by the UGC for the year 2011-2012 1...
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अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...