Tuesday, 20 February 2024

वो मेरी मातृभाषा है।

 वो मेरी मातृभाषा है ।


जिसके आंचल ने दुलराया 

भावों से भर दिए हैं प्राण

जिसकी रज को चंदन जाना

और जाना जिसके तन को अपना प्राण

वो मेरी मातृभाषा है।


जीवन के ताने बाने को

बुननेवाली वो भाषा

मुझमें अक्सर शामिल

वो बिलकुल मुझ सी 

वो मेरी मातृभाषा है।


जिसकी कोह में

मेरे सारे राग विराग

जो सुलझाती सारी उलझन को

करती रहती सदा दुलार

वो मेरी मातृभाषा है।


श्वास श्वास जिसकी अभिलाषा

जो जीवन शैशव सी है प्यारी

जो पावन उतनी

जितने की चारों धाम

वो मेरी मातृभाषा है।


डॉ मनीष कुमार मिश्रा

विजिटिंग प्रोफेसर (ICCR Hindi Chair)

ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज

ताशकंद, उज़्बेकिस्तान।

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

What should be included in traning programs of Abroad Hindi Teachers

  Cultural sensitivity and intercultural communication Syllabus design (Beginner, Intermediate, Advanced) Integrating grammar, vocabulary, a...