Saturday, 7 August 2021

फेक जहां तक भाला जाए ।

    फेक जहां तक भाला जाए ।


फेक जहां तक भाला जाए

विजय का डेरा डाला जाए ।


सब वक्त पुराना चाला जाए 

तेरे गले जीत की माला जाए ।


अब ना अवसर टाला जाए 

शौख नया अब पाला जाए ।


बन मतवाला खेला खेला जाए 

सब से आगे अपना गोला जाए ।


कुछ रंग नया अब घोला जाए 

सोना चांदी केवल तौला जाए ।


फौलादों में खुद को ढाला जाए 

हो हिंद कि जय यह बोला जाए ।


फेक जहां तक..........




               डॉ. मनीष कुमार मिश्रा

               के. एम. अग्रवाल महाविद्यालय

               कल्याण, महाराष्ट्र ।

               manishmuntazir@gmail.com




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