हर गलत बात के दरवाज़े पे दस्तक रही है
मुझे हर रंग से खेलने की आदत सी रही है ।
मेरी आवारगी,मेरी खानाबदोशी के पीछे
यकीनन मेरे अंदर की बगावत रही है ।
मैं बहुत खुश हूँ तुझसे ऐ ज़िंदगी क्योंकि,
मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं रही है ।
हम अपने अमल का हिसाब ख़ुद देंगे
मंदिर ओ मस्जिद से यारी नहीं रही है ।
तेरा आना, आकर चला जाना यूँ
जैसे मुझमे बाकी तेरी हिस्सेदारी रही है ।
- मनीष
मुझे हर रंग से खेलने की आदत सी रही है ।
मेरी आवारगी,मेरी खानाबदोशी के पीछे
यकीनन मेरे अंदर की बगावत रही है ।
मैं बहुत खुश हूँ तुझसे ऐ ज़िंदगी क्योंकि,
मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं रही है ।
हम अपने अमल का हिसाब ख़ुद देंगे
मंदिर ओ मस्जिद से यारी नहीं रही है ।
तेरा आना, आकर चला जाना यूँ
जैसे मुझमे बाकी तेरी हिस्सेदारी रही है ।
- मनीष
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