जिंदगी गुजर रही अब नए आशियाने में ,
सीख रहे हर पल कुछ नया जिंदगी नए पैमाने में
सोना वही है जागना वही है पर साथ नए अनजाने है
दूर देश में बैठे हम आये यहाँ कमाने हैं /
फ्रेंच भाषा भी खूब है पर मुझसे कितनी दूर है
भरमाती है तड़पाती है है और बड़ा तरसाती है ,
भागा पीछे वो आगे भागे अलसाया तो वो मुस्काए
नजर मिलाये पास बुलाये नित नए वो ठौर दिखाए
फ्रेंच भाषा भी खूब है पर कितनी दूर है
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वरिष्ठ भारतीय भाषाविदों का सम्मान समारोह संपन्न
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मातृभाषा जैसी भाषा तो कोई नहीं लगती.... सभी भाषाओँ से दूरी ही लगती है.....
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