Friday, 10 December 2010

फ्रेंच भाषा भी खूब है पर मुझसे कितनी दूर है

जिंदगी गुजर रही अब नए आशियाने में ,
सीख रहे हर पल कुछ नया जिंदगी नए पैमाने में 
सोना वही है जागना वही है पर साथ नए अनजाने है
दूर देश में बैठे हम आये यहाँ कमाने हैं /


फ्रेंच भाषा भी खूब है पर मुझसे कितनी दूर है 
भरमाती है तड़पाती है  है और बड़ा तरसाती है ,
भागा पीछे वो आगे भागे अलसाया तो वो मुस्काए 
नजर मिलाये पास बुलाये नित नए वो ठौर दिखाए 

फ्रेंच भाषा भी खूब है पर कितनी दूर है 

1 comment:

  1. मातृभाषा जैसी भाषा तो कोई नहीं लगती.... सभी भाषाओँ से दूरी ही लगती है.....

    ReplyDelete

Share Your Views on this..

वरिष्ठ भारतीय भाषाविदों का सम्मान समारोह संपन्न

https://www.emsindia.com/news/show/2880677/national   मुंबई, (ईएमएस)। उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद स्थित लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्क...