Saturday, 16 December 2023
Wednesday, 13 December 2023
TYBA Hindi SEMESTER 6 STUDY MATTERIAL
TYBA Hindi SEMESTER 6 STUDY MATTERIAL
TYBA Hindi SEMESTER 6 STUDY MATTERIAL
- TYBA, Sem – VI, प्रश्न पत्र – VIII भाषा विज्ञान हिंदी भाषा और व्याकरण
- TYBA Sem -VI, (HINDI) – प्रश्न पत्र – V स्वातंत्रोत्तर हिंदी साहित्य
- 131 TYBA, Sem – VI (Hindi), Paper No. IX Mass Media
- 132 TYBA, Sem – VI Paper No. VII Literary Criticism Prosody साहित्य समीक्षा – छंद एवं अलंकार
- Social Media (सोशल मीडिया) B.A, Sem-VI (Hindi)
- TYBA, Sem – VI, Paper No. IV – History of Hindi Literature (Modern Age)
Thursday, 7 December 2023
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में विभाजन की त्रासदी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न ।
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में विभाजन की त्रासदी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न ।
मंगलवार दिनांक 28 नवंबर 2023 को भारतीय उच्च
अध्ययन संस्थान, शिमला में दो दिवसीय राष्ट्रीय
संगोष्ठी की शुरुआत हुई। संगोष्ठी का मुख्य विषय "भारत विभाजन की त्रासदी और
भारतीय भाषाओं का साहित्य" है । इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता
के रूप में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकाश परिषद के निदेशक प्रो. रविप्रकाश टेकचंदानी, संस्थान के नेशनल फेलो प्रो. हरपाल सिंह और बीज वक्ता के रूप में
व्यंक्तेश्वर कालेज, नई दिल्ली से प्रो. निर्मल कुमार उपस्थित थे।
मान्यवर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके इस संगोष्ठी की
शुरुआत हुई। संगोष्ठी के संयोजक डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण के साथ
संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। दिल्ली के व्यंक्तेश्वर कॉलेज में इतिहास
विभाग के अध्यक्ष प्रो निर्मल कुमार ने विभाजन और सिनेमा के परिप्रेक्ष्य में अपना
सारगर्भित वक्तव्य दिया। प्रो हरपाल सिंह ने विभाजन की त्रासदी को लेकर अपने विचार
साझा किए । प्रो रवि टेकचंदानी ने सिंधी साहित्य और समाज के परिप्रेक्ष्य में बड़ा
मार्मिक वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर उन्होंने विभाजन पर प्रकाशित अपनी
पुस्तक की प्रति भी संस्थान के सचिव श्री नेगी जी को भेंट की । संस्था के निदेशक
प्रो नागेश्वर राव जी ऑनलाईन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े और सभी आए हुए अतिथियों
के प्रति आभार ज्ञापित किया। अंत में संस्थान के सचिव श्री नेगी जी ने आभार ज्ञापन
की जिम्मेदारी पूरी की । इस सत्र का कुशल संचालन श्री प्रेमचंद जी ने किया ।
राष्ट्रगान के साथ यह उद्घाटन सत्र समाप्त हुआ ।
उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त पहले दिन तीन चर्चा सत्र संपन्न हुए
जिनमें देश भर से जुड़े 10 विद्वानों ने
अपने प्रपत्र प्रस्तुत किए । इन तीनों सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः प्रो आलोक
गुप्ता (फ़ेलो, भारतीय उच्च
अध्ययन संस्थान, शिमला ), प्रो निर्मल कुमार(व्यंकटेश्वर कॉलेज, नई दिल्ली में इतिहास विभाग के
अध्यक्ष ) और प्रो रविंदर सिंह जी (फ़ेलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला
) ने किया । संगोष्ठी के दूसरे दिन कुल चार चर्चा सत्र संपन्न
हुए जिनकी अध्यक्षता क्रमशः प्रोफ़ेसर महेश चंपकलाल (टैगोर फ़ेलो, भारतीय उच्च
अध्ययन संस्थान, शिमला ), प्रोफ़ेसर नंदजी राय (फ़ेलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला
), प्रोफ़ेसर
हरपाल सिंह (नेशनल फ़ेलो, भारतीय उच्च
अध्ययन संस्थान, शिमला ) और प्रोफ़ेसर हरि मोहन बुधोलिया जी ने किया । दूसरे
दिन कुल 13 प्रपत्र वाचकों ने अपने प्रपत्र प्रस्तुत किए ।
समापन सत्र की अध्यक्षता भी प्रोफ़ेसर हरि मोहन बुधोलिया जी ने की ।
इस अवसर पर संस्थान के अकड़ेमिक रिसोर्स आफ़िसर श्री प्रेमचंद जी भी उपस्थित थे । संगोष्ठी
के संयोजक डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने दो दिवसीय संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत की । वरिष्ठ
एसोशिएट श्री अयूब ख़ान जी ने संगोष्ठी पर अपना मंतव्य व्यक्त किया । श्री प्रेमचंद
ने संस्थान की गतिविधियों की जानकारी देते हुए इस संगोष्ठी में प्रस्तुत सभी आलेखों
को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की बात कही । अध्यक्षी भाषण में प्रोफ़ेसर हरि मोहन
बुधोलिया जी ने सुंदर आयोजन की तारीफ़ की । अंत में संयोजक के रूप में डॉ मनीष कुमार
मिश्रा ने सभी के प्रति आभार ज्ञपित करते हुए , अध्यक्ष की अनुमति से संगोष्ठी समाप्ति की घोषणा की
। इस तरह दो दिन की संगोष्ठी
बड़े सुखद वातावरण में संपन्न हुई।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
Sunday, 19 November 2023
तुझे भुलाने की कोशिश में
तुझे भुलाने की कोशिश में सब याद रह गया
तु मुझमें मुझसे ज्यादा जाने के बाद रह गया।
उसके बिना इश्क का रोज़ा छूटे तो कैसे छूटे
जाने किस छत मेरी हसरतों का चाँद रह गया।
मोहब्बत करें और बड़े इत्मीनान से रहा करें
अब इस जहां में कौन ऐसा दिलशाद रह गया।
चुप्पियों के टूटते ही कायर कोई भी बचा नहीं
फिर सामने तो आग में तपा फौलाद रह गया।
बूढ़े मां बाप की आखों से टपकता लहू देख
वो खुश था बहुत जो कि बे औलाद रह गया।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
Saturday, 18 November 2023
हर मुलाकात के बाद
हर मुलाकात के बाद कुछ न कुछ अधूरा रह गया
तेरे साथ वाला वो मौसम मेरे अंदर ठहरा रह गया।
जिसे लूटना था उसे तेरी एक नजर ने लूट लिया
इश्क में नाकाम सा जमाने भर का पहरा रह गया।
हरसिंगार झरता रहा पूरी रात चांदनी को पीते हुए
ओस से लिपटकर वह सुबह तक बिखरा रह गया।
तुम्हारे बाद के किस्से में तो गहरी उदासी छाई रही
उन यादों का शुक्रिया कि जीने का आसरा रह गया।
ये सुना था मैंने भी कि वक्त हर ज़ख़्म भर देता है
पर इश्क का घाव ताउम्र हरा और गहरा रह गया।
यूं तो मंज़र कई सुहाने मिलते रहे मौसम बेमौसम
पर मेरी नजर में तो बसा हुआ तेरा चेहरा रह गया।
रोशनी के साथ तो कितना शोर शराबा आ जाता है
गुमनाम जद्दोजहद के साथ तो बस अंधेरा रह गया।
आवारगी में लिपटी हुई रंगीन रातों के किस्से सुनके
बस अपने पांव पटकता सलीकेदार सवेरा रह गया।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
Wednesday, 15 November 2023
जिसपर गिरी है गाज वो यूक्रेन और गाजा है।
कौन जाने किसे किसकी मिल रही सज़ा है
जिसपर गिरी है गाज वो यूक्रेन और गाजा है।
इन सियासत के सितमगरों से पूछे तो कोई
बारूद के बवंडरवाली ये कौन सी फिज़ा है।
शहर के शहर खंडहर बनानेवालों बता दो
क्या सच में तुम्हें ज़रा भी खौफ ए कजा है।
मिसाइल से भला कब हल हुए हैं मसाइल
हजारों कत्ल हो जाएं यह किसकी रजा है।
तेल और हथियारों की सौदागिरी के वास्ते
इंसानियत का हो कत्ल इसमें कैसी मज़ा है।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
Tuesday, 14 November 2023
ढलती शाम के साथ
ढलती शाम के साथ चांदनी बिखर जाती है
वही एक तेरी सूरत आंखों में निखर जाती है।
तू कब था मेरा यह सवाल तो बेफिजूल सा है
तेरे नाम पर आज भी तबियत बहक जाती है।
बस यही सोच तेरी चाहत को संभाले रखा है
कि हर दीवार एक न एक दिन दरक जाती है।
तुम्हें सोचता हूं तो एक कमाल हो ही जाता है
जिंदगी की सूखी स्याही इत्र सी महक जाती है।
वैसे तो मैं आदमी हूं एकदम खानदानी लेकिन
तेरी सूरत पर मासूम तबियत फिसल जाती है।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
ताशकंद के इन फूलों में
ताशकंद के इन फूलों में केवल मौसम का परिवर्तन नहीं, बल्कि मानव जीवन का दर्शन छिपा है। फूल यहाँ प्रेम, आशा, स्मृति, परिवर्तन और क्षणभंगुरता ...

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