Wednesday, 8 April 2009

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कितना सोचती हो ----------------------------

Posted by Picasaकितना सोचती हो मेरे बारे में
कितना कुछ कहती हो इशारे में ।
याद जब भी मेरी सताये तुम्हे,
मुझे खोजना गगन के सितारे में ।
जब से तेरा मैने है दीदार किया,
तबियत नही लगती किसी नजारे में ।

सौन्दर्य की सही परिभाषा हो तुम -----------------

सौन्दर्य की सही परिभाषा हो तुम

प्यार भरे मन की अभिलाषा हो तुम ।



कर देती है जो अंदर ही अंदर बेचैन

मन की वही जिज्ञासा हो तुम ।



जिन बातो को सबसे छुपाये रखा

unhee bato ka khulasha ho tum .





jindagi mai ki chilchilaati dhoop

jismay disember ka kuhaasa ho tum .

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Tuesday, 7 April 2009

राधा कृष्ण संवाद ....................................



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कृष्ण- चतुर सुजान राधिके ,मान मेरी एक बात ,

संग-संग खेलो रास ,आज मेरे पूरी रात

राधा- साँवले सलोने कृष्ण ,मोहे मोय तेरी बात ,

डर मगर लागे है,सोच के लोक-लाज

कृष्ण-प्रेम डगर अगर-मगर,तुम ना सोचो राधिके ,

आज रात फ़िर ना जाओ,बात यूँ बना के

राधा-प्यार मे इम्तहान, यूँ लो सांवरे

मेरे लिये इस कदर,तुम बनो बावरे

कृष्ण-रात-दिन हर पहर,बस हूँ तेरे ध्यान में

प्रेम से बड़ा कोई,सारे इस जहाँ में

राधा-नंदलाल मन मे तेरे खोट ही खोट है ,

प्यार की राह में तू चित्त चोर है

कृष्ण-प्राण सखे मेरा प्राण ,तेरे ही तो पास है ,

श्वास-श्वास में मेरी ,तेरी ही तो आस है

राधा-तेरे आगे लोक-लाज,श्याम में भूल गयी ,

जन्म-जन्म के लिये,राधा तेरी हो गई

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