Friday, 22 June 2012

ना तन्हा हूँ ना गम के घेरे ,

ना तन्हा हूँ ना गम के  घेरे  ,
ना खुशियों से दूर ना भाव तरेरे  ,
ना व्याकुल दिल ना बाँहों में तेरे ,
ना दूर हुए न नजरे फ़ेरे ,
मोहब्बत की कसक फिर भी ,
सपनों में तू अब भी मेरे 

प्यार में जो उलझा वो ना निकल पाया कभी

 

 प्यार  में जो उलझा वो ना निकल पाया कभी ,
जान ले के छोड़े ये बीमारी कुछ ऐसी है /

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...