Wednesday, 20 April 2011

तेरा शहर बहुत याद आता है

तेरा शहर बहुत याद आता है
 दिल तेरी ही यादों में चैन पाता है .

 वो शमा जिससे रोशन थी जिन्दगी,
 परवाना उसी में जल जाना चाहता है.

अपनी आदतों से परेशान हूँ यारों,
दिल ता उम्र आवारगी चाहता है .


सेमीनार हिंदी ब्लागिंग






 आगामी वर्ष में जो सेमीनार हिंदी ब्लागिंग पर आयोजित होने वाला है, उसे लेकर आप लोगों का उत्साह काबिले तारीफ़ है. कई लोग अपनी आशंकाएं पूछ रहे हैं. जैसे कि नीचे भाई महेश जी ने कुछ सवाल उठायें हैं.

 मेरा नाम महेश बारमाटे है. मैं जबलपुर, मध्य प्रदेश में रहने वाला एक आम नागरिक



> हूँ.


> मैं एक इंजीनियरिंग का छात्र हूँ और कॉलेज के समय से ही हिंदी कविता तथा लेख व


> कहानियाँ लिखता आ रहा हूँ. और पिछले वर्ष २०१० में मैंने अपने २ blogs


> mymaahi.blogspot.com - कविताओं के लिए तथा


> meri-mahfil.blogspot.com - लेख व कहानियों के लिए


> लिखना शुरू किया है.


>


> मैंने आपका comment परिकल्पना.कॉम के ब्लोगोस्त्सव २०११ के लेख में देखा. लेख


> पढ़ के दुःख हुआ कि मैं ब्लोगोत्सव २०११ में उपस्थित नहीं हो पाउँगा,


> पर ये जान कर ख़ुशी जरूर हुई कि अगले वर्ष आप हिंदी ब्लौगिंग के लिए २ दिवसीय


> राष्ट्रिय संगोष्ठी का आयोजन कर रहे हैं. आशा करता हूँ कि मैं इस संगोष्ठी में


> जरूर उपस्थित हो पाऊं. और मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं.


>


> आपके अनुसार आप संगोष्ठी के उदघाटन के दिन आप हिंदी ब्लौगिंग पे एक पुस्तक का


> विमोचन भी करेंगे. अतएव मैं भी चाहता हूँ कि मेरे भी कुछ लेख व कवितायेँ इस


> पुस्तक में अपनी जगह बनाएं.


> इसी कारण मैं आपसे इसी उपलक्ष्य में कुछ सवालात करना चाहता हूँ.


>


>


> 1. अपने लेख व कवितायें शामिल करने के लिए मुझे वो आपके पास किस माध्यम से


> भेजना होगा ? मेरा मतलब है - soft copies या hard copies या दोनों ?


> 2. क्या इस हेतु मुझे को शुल्क भी देना होगा ?


> 3. और अगर soft copies ही भेजनी है तो क्या वो सब Mangal unicode font में


> होना जरुरी हैं ?


> 4. और सबसे महत्वपूर्ण बात - आलेख भेजने की समयावधि, मतलब कोई last date है?


> 5. इसके अलावा आप और भी कोई जानकारी देना चाहते हैं तो वो भी
 
               इस सन्दर्भ में मैं यही कहना चाहता हूँ कि आप फिलहाल स्वाफ्ट कापी में ही अपना आलेख भेजिए . संगोष्ठी में पंजीकरण शुल्क के अतरिक्त कोई राशी आप को नहीं देनी है .अभी आप २ महीने तक आलेख भेज सकते हैं.

Saturday, 9 April 2011

love

''एक पुल पर शहर के वो दोनों पुराने प्रेमी मिले,
दोनों ने एक-दूसरे से कहा कि
 वे दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं .
 फिर दोनों ने पुल से नदी  में छलांग लगा दी.
 लाश जब बरामत हुई,पोस्ट मार्टम हुआ.
     लड़का नामर्द था, लड़की गर्भवती .''

मित्रों यह कविता नहीं है, बस एक प्रसंग है जिसकी व्याख्या आप अपने तरीके से क़र सकते हैं .
 जैसे क़ि
१- इन दोनों में से किसी को किसी से प्यार नहीं है.
 २-इन दोनों में लड़के का प्रेम अधिक है.
 ३- कामुकता को प्रेम का आधार नहीं माना जा सकता .
आदि

Friday, 8 April 2011

एक शमा को फिर देखा

अभिलाषा -५०२

एक शमा को फिर देखा
परवाने की नज़रों से.
फिर से जलजाना है किस्मत,
और न दूजी राह प्रिये.   

Wednesday, 6 April 2011

ये हिन्दुस्तान की रवायत है यारों,

तेरी यादों की चादर तान कर सोते हैं,
बेवफा तुझे मानकर रोते हैं.

मोहबत्त के अंजाम से वाकिफ थे हम, 
मोल खतरे कुछ जानकर लेते हैं. 

 ये हिन्दुस्तान की रवायत है यारों, 
हम दुश्मन को भी माफ़ कर देते हैं.
     

Monday, 4 April 2011

अभिलाषा ५०१ :-

अभिलाषा  ५०१ :-

 जब -जब चिकनी राह मिली  ,
 तब-तब मैं तो गया फिसल.
 तुझ से मिलना जब से हुआ,
 हुआ प्यार तो तभी प्रिये.

ताशकंद के इन फूलों में

  ताशकंद के इन फूलों में केवल मौसम का परिवर्तन नहीं, बल्कि मानव जीवन का दर्शन छिपा है। फूल यहाँ प्रेम, आशा, स्मृति, परिवर्तन और क्षणभंगुरता ...