Sunday, 11 July 2010

कातिल अदा है सादगी ,

The Girl with the Dragon TattooRecovery
कातिल अदा है सादगी इससे बचा करो ,
क़ज़ा ये ऐसी हुस्न की कि दिल कातिल कि दुआ करे /


कातिल अदा है सादगी ,


हुस्न का दिव्यास्त्र ये जों रखता है वो संभाल ,
BlackBerry Bold 9700 Phone (AT&T)जब आता है इल्जाम ये बन जाता है उसकी ढाल ,


चलता ये वहां भी जहाँ कोई अंदाज चले ,
जीतता है ये ही कैसे भी वो  चले


कातिल अदा है सादगी ,



चलता है वो सादगी जब सूझे न कोई चाल
होता है हसीं का हर वार जब बेकार ,

                                                                       

धीमे धीमे अपनी इस क़ज़ा को वो चले;
आशिक को  फिर  हौले हौले वो छले



LG Prime Prepaid GoPhone (AT&T) with $50 Airtime Creditकातिल अदा है सादगी ,/


चाहता है वो जब जीतना हार हाल में
करता है तब सादगी जों करता है दिल पे वार










Saturday, 10 July 2010

न राह है न मुकद्दर ,


HTC Aria Android Phone (AT&T)Samsung Moment M900 Android Phone (Sprint)
न राह है न मुकद्दर ,
फिर मेरा दिल तेरा है क्यूँ कर ,
वक़्त न धूमिल कर पाया ,
राहों ने कितना ही भरमाया ,
अपने लोग भाव उलझाते ही हैं ,
रिश्तों में अड़चन लाते ही है ,
बड़ती कशिश समय भी रोक न पाई ,
बड़ती तपिश भले तुझे ना भायी ,
इश्क को चोटों से क्यूँ भागूं मैं
तेरे संबंधों से घबरायु क्यूँ मै ,
मै अविचलित अपने प्यार पे ,
भले नम हैं आखें तेरे बेवफाई के नाम पे /

                                           HTC DROID INCREDIBLE Android Phone (Verizon Wireless)BlackBerry Bold 9700 Phone (AT&T)Motorola DROID A855 Android Phone (Verizon Wireless)

Friday, 9 July 2010

न की इतनी गैरत की मुलाकात कर लेती ,

न की इतनी गैरत की मुलाकात कर लेती ,
होती अपनो की परवा तो कैसे रात कर लेती ,
बला की कशिश है तुझमे लोग कहते है ,
गैरों से न मिली फुर्सत जों मेरे रंजोगम से आखें चार कर लेती /

चाह के भी न कह सका प्यार मै ,

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चाह के भी न कह सका प्यार मै ,

तेरी आखों ने रोक लिया कैसे करता इजहार मै ;

बाहें मचल रही थी तुझे बाँहों में भरने को ,

तेरी हया को करता कैसे यूँ ही पार मै /

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Thursday, 8 July 2010

हिंदी से अरुचि ये हिंदी भाषी ही करते हैं ,

Golden Treasury Of Shlokas (4 Cd Set with Hindi Book)
हिंदी से अरुचि ये हिंदी भाषी ही करते हैं ,
हमें अंगरेजी आती कह खुद की पीठ ठोकते है ,
हीन भाव से निकलो यारों ;
अंगरेजी आने से विद्वान नहीं कोई बनता है ,
सिर्फ भाषा के ज्ञान से कोई इन्सान नहीं बनता है ;
निज भाषा से प्रेम नहीं ,
इससे बड़ा विद्वेष नहीं ;




न महकते बागों के मंजर का शौक रखा ,

न महकते बागों के मंजर का शौक रखा ,
न तूफानी समंदर का शौक रखा ,
शौक तो बस इतना था तुझे जी भर के देखूं ,
तुने की शिकायत तो बंद आखों का शौक रखा /


Wednesday, 7 July 2010

रूह जलती रही मेरी सर शैया पे


न गम की बरसात होती है ,न ख़ुशी भी साथ होती है ,
जिंदगी बीत रही कुछ ऐसी ,दिन भी रात होती है /
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न मुलाकात की मैंने ,न कोई शुरुवात की तुने ,
रूह जलती रही मेरी सर शैया पे ,मेरी राख को न आग दी तुने /

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...