खुशकिस्मत कितना ये मेजबान है ।
तुम्हारे घर उर्दू,मेरे घर में हिन्दी,
फ़िर भी मोहब्बत का अरमान है ।
मुहमांगी कीमत चुकाने के बाद,
लड़की का बाप करता कन्यादान है ।
हर ग़लत बात पे आवाज उठाओ ,
कदम हर कदम तुम्हारा ही नुक्सान है । ।
हिन्दी के जाने -माने साहित्यकार अब हमारे बीच नही रहे । पद्मविभूषण से सम्मानित विष्णु जी काफी दिनों से बीमार चल रहे थे । हाल-फिलहाल उनका इलाज दिल्ली के पंजाबी बाग़ स्थित महाराजा अग्रसेन अस्पताल में हो रहा था ।
अमरकांत जन्मशती के उपलक्ष्य में दिनांक 16-17 जनवरी 2026 को दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन ICSSR एवं महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अ...