Tuesday, 7 April 2009
चुनाव से पहले जूता................................
तो भइया आज हमारे गृहमंत्री जी को जूता पड़ ही गया । समाचारों मे दिखाया गया की जूता उन्हे लगा नही । लेकिन सरकार को तो जूता लग ही गया ,वो भी चुनावों के ठीक पहले । कांग्रेस वालो संभल जाओ । ऐसा ना हो कि इसी जूते की गूँज चुनावों के बाद सुनाई पडे । तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी । संभल जाओ ।
इंदिरा गाँधी की अनोखी तस्वीर ........................

आज से करीब एक -दो साल पहले सहारा समय अखबार मे इंदिरा जी के उपर एक बड़ा लेख छपा था । और यह तस्वीर भी । तस्वीर खास लगी इस लिये काट कर रख लिया । आज अचानक तस्वीर किसी किताब मे से मिल गई तो सोचा ब्लॉग पर डाल देता हूँ । तस्वीर सुरक्षित भी रहे गी और लोंगो को देखनो को भी मिलेगी । आप को यह तस्वीर कैसी लगी ?
हजारो मिन्नतों के बाद ..........................

इस तस्वीर को देखकर एक ग़ज़ल लिखी है । इस तस्वीर में जो बात है वो अलग है ।
हजारों मिन्नतों के बाद ,चले आते हैं
आकर बैठे भी नही,की चले जाते हैं ।
कभी अम्मी ,कभी अब्बा कभी खाला ,
इनके नाम से कितना डराते हैं ।
होश रहेगा कैसे ,उनसे मिलने के बाद
वो तो नजरो ही नजरो से पिलाते हैं ।
इश्क की गाड़ी में,बैठे हैं हम मियां
रोज ही झटके पे झटका खाते हैं ।
यहाँ जाती है इस गरीब की जान ,
एक वो हैं की बस मुस्कुराते हैं ।
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हिन्दी कविता hindi poetry
इश्क की बात ...................................
इश्क की बात छुपाऊँ कैसे
छुपी बात है ,बताऊँ कैसे ?
पहले ख़ुद ही सताया उन्हे ,
अब सोचता हूँ,मनाऊँ कैसे ?
चोर तो मेरे अंदर ही है ,
मैं भला शोर मचाऊँ कैसे ?
आँगन मेरा ही टेढा है ,
सब को नाच नचाऊँ कैसे ?
भूखे पेट आ गया हूँ ,
आपको हंसाऊं कैसे ?
छुपी बात है ,बताऊँ कैसे ?
पहले ख़ुद ही सताया उन्हे ,
अब सोचता हूँ,मनाऊँ कैसे ?
चोर तो मेरे अंदर ही है ,
मैं भला शोर मचाऊँ कैसे ?
आँगन मेरा ही टेढा है ,
सब को नाच नचाऊँ कैसे ?
भूखे पेट आ गया हूँ ,
आपको हंसाऊं कैसे ?
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प्यार -मोहब्बत और शराब ..............................
इनसे ही पूरा सारा हिसाब
प्यार -मोहब्बत और शराब ।
जिसने इन्हे बनाया है ,
उसी को मेरा है आदाब ।
छोड़ दिया उस घर को ही ,
जहा थे देते सभी रुबाब ।
कहने को सब कहते हैं ,
आदत हो गई मेरी ख़राब ।
ग़लत सवालों के बदले ,
कैसे देता कोई जवाब ।
प्यार -मोहब्बत और शराब ।
जिसने इन्हे बनाया है ,
उसी को मेरा है आदाब ।
छोड़ दिया उस घर को ही ,
जहा थे देते सभी रुबाब ।
कहने को सब कहते हैं ,
आदत हो गई मेरी ख़राब ।
ग़लत सवालों के बदले ,
कैसे देता कोई जवाब ।
इश्क में .........................................
इश्क में वो मुझे सिर्फ़ गम देगा
जिंदगी भर को ,आंखे नम देगा ।
मैने तो थोड़ी रोशनी मांगी थी
वह मेरे हिस्से में ,बस तम् देगा ।
सनम के सितम की इंतहा क्या है ,
जितना भी देगा ,वह कम देगा ।
सियासतदानों की बातो में ना आना ,
यह जब भी देगा ,सिर्फ़ भरम देगा ।
यह इलेक्ट्रोनिक मीडिया है जनाब ,
हर बासी खबर को ,यह गरम देगा ।
जिंदगी भर को ,आंखे नम देगा ।
मैने तो थोड़ी रोशनी मांगी थी
वह मेरे हिस्से में ,बस तम् देगा ।
सनम के सितम की इंतहा क्या है ,
जितना भी देगा ,वह कम देगा ।
सियासतदानों की बातो में ना आना ,
यह जब भी देगा ,सिर्फ़ भरम देगा ।
यह इलेक्ट्रोनिक मीडिया है जनाब ,
हर बासी खबर को ,यह गरम देगा ।
मुझको अब एक बाजा दे .................
सब की पोल खोलने को , मुझको अब एक बाजा दे
नई उम्र की नई बानगी ,वाला मुझको राजा दे ।
नही रहे हैं जख्म पुराने ,दिये हुए जो तूने थे
मेरे जीवन मे आकर ,जख्म कोई फ़िर ताज़ा दे ।
फाँका मस्ती अपनी हस्ती ,चाहत एकदम छोटी है
बची-खुची रुखी -सूखी ,साथ में थोड़ा गाँजा दे ।
आओ दोनों कर लें ,थोडी सी अदला-बदली
मेरी रोटी तू ले ले ,मुझको अपना खाजा दे ।
नई उम्र की नई बानगी ,वाला मुझको राजा दे ।
नही रहे हैं जख्म पुराने ,दिये हुए जो तूने थे
मेरे जीवन मे आकर ,जख्म कोई फ़िर ताज़ा दे ।
फाँका मस्ती अपनी हस्ती ,चाहत एकदम छोटी है
बची-खुची रुखी -सूखी ,साथ में थोड़ा गाँजा दे ।
आओ दोनों कर लें ,थोडी सी अदला-बदली
मेरी रोटी तू ले ले ,मुझको अपना खाजा दे ।
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