Wednesday, 1 April 2009

हिन्दी की नई पत्रिका -बया

हिन्दी मे आज की तारीख़ मे कई पत्रिकायें निकल रही हैं । ऐसी ही एक महत्त्व पूर्ण पत्रिका है -बया । गौरीनाथ जी के संपादन मे निकलने वाली यह पत्रिका पहले छमाही प्रकाशित होती थी ,लेकिन अब यह त्रैमासिक हो गयी है । जुलाई-सितम्बर अंक २००९ "बंगाल:पलासी से नंदीग्राम " पर केन्द्रित है । अब यह पत्रिका "अंतिका प्रकाशन " से जुड़ गई है ।
पत्रिका के लिये ०१२०-६४७५२१२ \०९८६८३८०७९७ पे संपर्क किया जा सकता है । इसकी वार्षिक सदस्यता १२० रुपये है । आजीवन ५००० रुपये है । आप को यह पत्रिका जरूर पसंद आयगी । इसे आप जरूर पढ़े ।

रात अकेले सागर तट पर हम दोनों ----------------------------

रात अकले सागर तट पर ,लहरों मे हम खोय थे
एक-दूजे के कन्धों पर ,प्यार से कितने सोय थे ।

इधर-उधर के जाने कितने ,किस्से तुमने सुनाये थे
वही बात ना कर पाये,करने जो तुम आये थे ।

एक साँस मे कह डाले ,सपने जो भी संजोये थे
फ़िर आँखों मे मेरी देखकर,कितना तुम मुस्काये थे ।

नर्म रेत पर पास बैठकर ,कितना तुम इतराये थे
प्रथम प्यार के चुम्बन पे,बच्चों जैसे शरमाये थे ।

गहर के अंदर मेरी भी --------------------

घर के अंदर मेरी भी ,इज्जत थी अच्छी-खासी
प्यार किया है जब से मैने,कहते हैं सब सत्यानासी ।

बडे नमाजी उसके अब्बा,पिताजी मरे चंदनधारी
लगता है गरमायेगा ,मुद्दा फ़िर से मथुरा-काशी ।

अच्छा है की लोकतंत्र है ,नही चलेगी तानाशाही
बस इनका यदि चलता तो ,मिलकर देते हमको फाँसी ।

Tuesday, 31 March 2009

पकिस्तान के हालात --------

  1. कल ही पकिस्तान मे एक और आतंकवादी हमला हुआ जिसने पूरे पकिस्तान को हिला के रेख दिया। भारत का पड़ोसी होने के कारण पकिस्तान की आतंरिक स्थितियां हमारे लिये भी चिंता विषय हैं । अफगानिस्तान के बाद तालिबान की पकड़ पकिस्तान पे मजबूत होती जा रही है .तालिबान को अलकायदा का समर्थन मिलता ही रहता है । भारत कट लिये समय आ गया है की वह अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को साथ लेकर आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक नई पहल करे ।

    पकिस्तान को भी अब यह समझना हो गा की जी आतंकवाद के दम पे वह भारत को आँख दिखता था ,वाही अब भास्मा सुर की तरह उसे ही तबाह कर डालने की कोसिस कर रहा है ।
    आज से जी २० के सिखर सम्मलेन मे प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह जा रहे हैं । उन्हे जो दो मुद्दे पुरी ताकत से उठाना चाहिये वो निम्नलिखित हैं ।

१.भारत का जो पैसा काले धन के रूप मे बाहरी बैंकों मे है ,उसे वापस लाना

२.आतंकवाद की समस्या पर पकिस्तान और अफगानिस्तान के हालत पे विश्व व्यापी कारगर उपाय खोजना ।



Monday, 30 March 2009

क्या -क्या किया जवानी मे -----------------------------

पूछो ना क्या क्या किया जवानी मे
नदी थे ,सो बह गये थे रवानी मे

हम तो शांत झील की तरह थे
आग तुम्ही ने लगा दी पानी मे

मेहमान से आये थे ,चले गये
करके इजाफा हमारे खर्चे मे

वो तो खुशबू थे ,बिखर गये
पड़ गये हम तो परेशानी मे

इश्क करना कब था हमे
हो गया यह काम नादानी मे

Sunday, 29 March 2009

JUST TO SAY HI

DEAR FRIENDS,
I AM JAI PANDEY WORKING AS A MECHANICAL ENGINEER IN MUMBAI. FROM TODAY ONWARDS YOU CAN READ MY ARTICLES RELATED TO MINERAL PROCCESING,TEHNOLOGY AND INDUSTRIAL ETP.

WITH HOPE THAT YOU WILL LIKE IT.

Saturday, 28 March 2009

दिन करीब चुनाव के आने लगे हैं ------------

जोड़ कर हाँथ वे लुभाने लगे हैं


दिन चुनाव के करीब आने लगे हैं


गली के गुंडों को टिकट मिल गया है


तहजीब मे अब वे बतियाने लगे हैं




पार्टी का जो भी रूठा था अपना


उसको नेता बडे सब मनाने लगे हैं




अनुबंधों मे गठबंधन का


नेता लुफ्त उठाने लगे हैं




सियासत है यंहा कुछ पक्का नही


एक-दूजे के घर मे लोग झाकने लगे हैं




इसके पीछे भी साजिस है गहरी


जो मुफ्त मे वो पीने-पिलाने लगे हैं

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...