Sunday, 22 September 2024
Wednesday, 18 September 2024
उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न ।
उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न ।
बुधवार, दिनांक 18 सितंबर 2024 को लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद की शुरुआत सुबह 10 बजे हुई । परिसंवाद का मुख्य विषय था "उज़्बेकिस्तान में हिंदी: दशा और दिशा" । इस परिसंवाद के उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष के रूप में उज़्बेकिस्तान में भारत सरकार की राजदूत आदरणीय स्मिता पंत जी उपस्थित थी । बीज वक्ता के रूप में वरिष्ठ हिंदी भाषाविद श्री बयोत रहमतोव और मुख्य अतिथि के रुप में ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज से डॉ निलूफर खोजाएवा ऑनलाईन माध्यम से उपस्थित हुई ।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके हुई । लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद के कल्चरल डायरेक्टर श्री सीतेश कुमार जी ने स्वागत भाषण देते हुए केंद्र की आगामी योजनाओं की भी चर्चा की । प्रस्ताविकी परिसंवाद संयोजक के रूप में डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने प्रस्तुत करते हुए सत्र का संचालन भी किया । मुख्य अतिथि डॉ निलुफर खोजाएवा जी ने आयोजन की सफलता के लिए बधाई देते हुए अपने संस्थान में हिंदी की गतिविधियों की जानकारी दी। बीज वक्ता के रूप में श्री बयोत रहमतोव जी ने विस्तार से उज़्बेकिस्तान में इंडियन डायसपोरा की चर्चा करते हुए भोलानाथ तिवारी के कार्यों को याद किया। इस अवसर पर परिसंवाद में प्रस्तुत शोध आलेखों की पुस्तक का लोकार्पण भी मान्यवर अतिथियों के द्वारा किया गया। इस पुस्तक का सम्पादन डॉ मनीष कुमार मिश्रा एवं डॉ निलुफ़र खोजाएवा जी ने किया । इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए प्राप्त शोध आलेखों में से कुल 30 शोध आलेखों को ISSN JOURNAL ( 2181-1784), 4(22), September 2024, www.oriens.uz के माध्यम से प्रकाशित किया गया है।
वरिष्ठ हिन्दी प्राध्यापिका डॉ सादिकोवा मौजूदा काबिलोवना जी की पाठ्यक्रम केंद्रित पुस्तक का भी इस अवसर पर लोकार्पण हुआ । इस कार्यक्रम में ऑन लाईन माध्यम से भारत समेत कई अन्य देशों के हिंदी विद्वान उत्साहपूर्वक जुड़े रहे । अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में आदरणीय स्मिता पंत जी ने लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों की प्रशंसा की । हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु ऐसे आयोजनों की सार्थकता पर आप ने विस्तार से चर्चा करते हुए आगामी आयोजनों के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया। उज़्बेकिस्तान में जनवरी 2025 में हिन्दी ओलम्पियाड़ आयोजित करने की योजना पर भी आप ने प्रकाश डाला ।
उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम और द्वितीय चर्चा सत्र की शुरुआत हुई जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ हिंदी भाषाविद डॉ सादिकोवा मौजूदा काबिलोवना जी ने की । इस सत्र में जिन विद्वानों ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किए उनमें शाहनाजा ताशतेमीरोवा, कमोला अखमेदोवा, प्रवीण कुमार, नेमातो युरादिल्ला, डॉ. उषा आलोक दुबे , तिलोवमुरोडोवा शम्सिक़मर, निकिता, डा० कमोला रहमतजनोवा, डॉ. हर्षा त्रिवेदी, श्रीमती नेहा राठी, डॉ. राजेश सरकार और प्रो. उल्फ़त मोहीबोवा जी शामिल रहीं । इनमें से कई विद्वान ऑन लाईन माध्यम से संगोष्ठी से जुड़े रहे । ऑन लाईन माध्यम से संगोष्ठी से जुड़े अन्य विद्वानों में डॉ. फ़तहुद दिनोवा इरोदा, युनूसोवा आदोलत, अखमदजान कासीमोव, डॉ सिराजूद्दीन नुर्मातोव, संध्या सिलावट, डॉ.प्रियंका घिल्डियाल समेत अनेकों लोग देश-विदेश से शामिल थे ।
दोपहर के भोजन के उपरांत तीसरे चर्चा सत्र की शुरुआत हुई। इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ हिन्दी भाषाविद श्री बयोत रहमतोव जी ने की । इस सत्र में जिन विद्वानों ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किए उनमें अज़ीज़ा योरमातोवा, जियाजोवा बेरनोरा मंसूर्वोना, मोतबार स्मतुलायवा, हिदायेव मिरवाहिद, खुर्रामो शुकरुल्लाह, डॉ. शिल्पा सिंह और डॉ. ठाकुर शिवलोचन शामिल रहे । इस सत्र में भी भारत से कई विद्वान ऑन लाइन माध्यम से प्रपत्र वाचक के रूप में जुड़े ।
तीसरे सत्र के बाद समापन सत्र की शुरुआत हुई। प्रतिभागियों ने इस आयोजन के संदर्भ में खुलकर अपने विचार प्रकट किए। अंत में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद के कल्चरल डायरेक्टर श्री सीतेश कुमार जी के हाथों प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और शोध आलेखों की पुस्तक भेंट की गई । अंत में डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया और परिसंवाद समाप्ति की घोषणा की । इस तरह यह एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद सम्पन्न हुआ ।
Sunday, 15 September 2024
interview on Foreign Languages TV Channel - Uzbekistan National TV
Given interview on Foreign Languages TV Channel - Uzbekistan National TV and Radio Company on 15th September 2024.
Good Morning Uzbekistan - Hosts: Maftuna and Azizkhon
Saturday, 14 September 2024
हम अगर कोई भाषा हो पाते
हम
अगर कोई भाषा हो पाते
भाषाओं
के इतिहास में
भाषाओं
का ही
परिमल, विमल प्रवाह है ।
वह
ख़ुद
को माँजती
ख़ुद
से ही जूझती
तमाम
साँचों को
झुठलाती
और तोड़ती है ।
वह
इस
रूप में शुद्ध रही कि
शुद्धताओं
के आग्रहों को
धता
बताती हुई
बस
नदी सी
बहती
रही
बिगड़ते
हुए बनती रही है
और
बनते
हुए बिगड़ती भी है ।
दरअसल
वह
कुछ
होने न होने से परे
रहती
है
अपनी
शर्तों पर
अपने
समय, समाज और संस्कृति की
थाती
बनकर ।
उसकी
अनवरत यात्रा में
शब्द
ईंधन हैं
और
अर्थ बोध ऊर्जा
हम
अगर
कोई
भाषा हो पाते
तो
हम
बहुद
हद तक
मानवीय
होते ।
डॉ.
मनीष कुमार मिश्रा
विजिटिंग प्रोफ़ेसर
ICCR
हिन्दी चेयर
ताशकंद, उज़्बेकिस्तान
।
संवाद में मुख्य वक्ता के रूप में सहभागी
शुक्रवार, दिनांक 13 सितंबर 2024 को पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, आईटीएम विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा "हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य और रोज़गार की संभावनाएँ" विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संवाद का आयोजन किया गया। इस संवाद में मुख्य वक्ता के रूप में सहभागी हुआ । अपने वक्तव्य में हिन्दी भाषा के वैश्विक परिदृश्य पर गहनता से प्रकाश डाला। मैंने कहा कि हिन्दी भाषा का न केवल सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्व है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर अपनी पहचान भी बना रही है। इसके साथ ही, हिन्दी के बढ़ते प्रसार के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरती रोजगार की नई संभावनाओं के बारे में भी चर्चा की, जैसे कि अनुवाद, पत्रकारिता, लेखन, पर्यटन, और शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दी के पेशेवरों की बढ़ती मांग। हिन्दी भाषा के माध्यम से डिजिटल मीडिया, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, और सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी में भी अनेक अवसर उपलब्ध हैं। इस आयोजन ने हिन्दी भाषा के महत्व और इसके माध्यम से उपलब्ध विविध रोजगार अवसरों के प्रति नई सोच विकसित करने का अवसर प्रदान किया।
Friday, 13 September 2024
Friday, 30 August 2024
तेरे अंजाम पे रोना आया
अवध और बनारस क्षेत्र की ठुमरी गायिकाओं के जीवन संघर्ष और संगीत साधना से जुड़ी " तेरे अंजाम पे रोना आया" यह पुस्तक जल्द ही पाठकों के बीच उपलब्ध होगी । इसमें 09 गायिकाओं पर स्वतंत्र आलेख हैं जिन में गौहर जान, जानकी बाई, रसूलन बाई, सिद्धेश्वरी देवी और बेगम अख्तर शामिल हैं। दिनांक 18 सितंबर 2024 को ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में इस पुस्तक का लोकार्पण संपन्न होगा ।
इस पुस्तक के सभी आलेख वागर्थ, समीचीन, सरस्वती और अनहद लोक जैसी भारत की प्रसिद्ध पत्रिकाओं में समय समय पर प्रकाशित हो चुके हैं। लेखन के दौरान Madhu Shukla जी, C L Sharma Kukreti जी, K.C. Maloo जी, Jyoti Sinha जी और Shashikala Rai जी का मार्गदर्शन बड़ा उपयोगी रहा । भूमिका के रूप में आदरणीय Shitlaprasad Dubey सर का आशीर्वाद प्राप्त हुआ ।
सभी का ह्रदय से आभार। प्रकाशक के रूप में भाई राम कुमार (आर के पब्लिकेशन, मुंबई ) का भी योगदान व सुझाव महत्वपूर्ण रहा ।
सभी के प्रति हम कृतज्ञ हैं ।
Friday, 23 August 2024
राम दरश मिश्र : सौ वसंत की गाथा
15 अगस्त को हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राम दरश मिश्र जी अपनी जीवन यात्रा के सौ वसंत पूर्ण करेंगे। ऐसे में यह पुस्तक उनके चरणों में एक भेंट स्वरूप प्रस्तुत करने में हमें खुशी है।
Thursday, 8 August 2024
होश पर मलाल है ग़ज़ल संग्रह
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About the Author
This is the first ghazal collection of Dr. Manish Kumar Mishra. His two poetry collections and one story collection have already been published. He has also received the prestigious Sant Namdev Award of Maharashtra State Hindi Sahitya Academy for his poems. This ghazal collection ‘Hosh Par Malaal Hai’ includes a total of 105 ghazals. Through these ghazals, the concepts of life and relationships go beyond words and meaning and express thoughts and feelings in a multidimensional form. Somewhere in these ghazals there is an atmosphere of calm and dark colors and somewhere there is a thirst for love in the collage of memories. A new path keeps alive the hope of a new world of light even in dark times. In today's glittering and pompous times, the simplicity, gentleness and ease with which Manish says ghazals seems to be a reflection of his personality.
Wednesday, 7 August 2024
भारत विभाजन की त्रासदी और भारतीय भाषाओं का साहित्य
बताते हुए हर्ष हो रहा है कि भारत विभाजन की त्रासदी और भारतीय भाषाओं का साहित्य शीर्षक से यह पुस्तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला से प्रकाशित हो रही है । संभवतः एक महीने में यह पुस्तक सभी पाठकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी । विभाजन की त्रासदी और भारतीय साहित्य को लेकर दिनांक 28-29 नवंबर 2023 को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मेरे संयोजन में सम्पन्न हुआ था । इस संगोष्ठी में प्रस्तुत शोध आलेखों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की योजना थी । मैं संस्थान के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ ।
Saturday, 20 July 2024
डॉ मनीष कुमार मिश्रा: संक्षिप्त परिचय
नाम : डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
जन्म : वसंत पंचमी, 09 फरवरी 1981
शिक्षा : एम ए ( हिन्दी एवं अँग्रेजी), पी.एचडी, एम.बी.ए ( मानव संसाधन )
संप्रति :
विजिटिंग प्रोफेसर ( भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद {ICCR} हिन्दी चेयर ), ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़, ताशकंद, उज्बेकिस्तान
के एम अग्रवाल महाविद्यालय (मुंबई विद्यापीठ से सम्बद्ध ) कल्याण पश्चिम ,महाराष्ट्र में सहायक आचार्य - हिन्दी विभाग के रूप में दिनांक 14 सितंबर 2010 से कार्यरत
प्रकाशन :
हिंदी और अंग्रेजी की लगभग 35 पुस्तकों का संपादन
अमरकांत को पढ़ते हुए (समीक्षा ) – हिंदयुग्म, नई दिल्ली से 2014 में प्रकाशित
इस बार तुम्हारे शहर में – (कविता संग्रह), शब्द सृष्टि, नई दिल्ली से 2018 में प्रकाशित
अक्टूबर उस साल – (कविता संग्रह), शब्द सृष्टि, नई दिल्ली से 2019 में प्रकाशित
स्मृतियाँ - (कहानी संग्रह), ज्ञान ज्योति पब्लिकेशंस, दिल्ली से 2021 में प्रकाशित
पुरस्कार :
श्याम सुंदर गुप्ता स्वर्ण पदक - वर्ष 2003, मुंबई विद्यापीठ,मुंबई, महाराष्ट्र
डॉ. लक्ष्मी नारायण लाल राष्ट्रीय सम्मान वर्ष 2020, पल्लव काव्य मंच, रामपुर, उत्तर प्रदेश
अखिल भारतीय राजभाषा हिंदी सेवी सम्मान – 2021, महात्मा गाँधी राजभाषा हिंदी प्रचार संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र
संत नामदेव पुरस्कार 2020-2021, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, महाराष्ट्र शासन, मुंबई, महाराष्ट्र
सम्पर्क :
manishmuntazir@gmail.com
https://onlinehindijournal.blogspot.com
+91 8090100900 (भारत)
+998 503022454 (ताशकंद)
Monday, 1 July 2024
My utube Chanel
Active Participation
Sunday, 26 May 2024
Wednesday, 22 May 2024
Tuesday, 23 April 2024
Monday, 22 April 2024
एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद - उज्बेकिस्तान में हिन्दी : दशा और दिशा
What should be included in traning programs of Abroad Hindi Teachers
Cultural sensitivity and intercultural communication Syllabus design (Beginner, Intermediate, Advanced) Integrating grammar, vocabulary, a...
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***औरत का नंगा जिस्म ********************* शायद ही कोई इस दुनिया में हो , जिसे औरत का जिस्म आकर्षित न करता हो . अगर सारे आवरण हटा क...
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जी हाँ ! मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष , जिसके विषय में पद््मपुराण यह कहता है कि - जो मनुष्य सड़क के किनारे तथा...
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अनेकता मे एकता : भारत के विशेष सन्दर्भ मे हमारा भारत देश धर्म और दर्शन के देश के रूप मे जाना जाता है । यहाँ अनेको धर...
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अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...