मां तुझे सलाम
आदरणीय सिंधुताई सपकाल
10 साल की उम्र में 30 साल के व्यक्ति से विवाह । लगभग 20 वर्ष की उम्र में नौ महीने की गर्भवती सिंधु पर चरित्रहीनता का आरोप लगाकर पति ने घर से निकाल दिया । ख़ुद की माँ ने भी शरण नहीं दी तो अपनी दुधमुंही बच्ची के साथ रेल्वे स्टेशन पर भीख माँगने के लिये अभिशप्त । भीख में मिले पैसों में से अपनी ज़रूरत भर का निकाल के शेष राशि साथी भिखारियों में वितरित कर देना । पुणे के दगड़ू सेठ हलवाई के अनाथालय में अपनी ख़ुद की बेटी को रखकर अनाथ बच्चों को पालने-पोसने के बड़े कार्य की शुरुआत । “माई” के रूप में प्रसिद्ध । हजारों लड़कियाँ जो आज़ माई के संरक्षण पलते हुए अपना सुनहरा भविष्य सँजो रहीं हैं, वे इस माई के बिना शायद किसी रेल्वे स्टेशन पर भीख माँगते हुए अल्पायु में वेश्या बनने के लिए अभिशप्त होतीं । 172 से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित सिंधुताई अपने सनमती बाल निकेतन, पुणे के माध्यम से एक जाना-माना नाम । हजारों बच्चों को पालने और उन्हें उच्च शिक्षित करने का अनुकरणीय कार्य ।
आप हमेशा याद रहोगी ।
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..