Monday, 17 December 2012

उनके साथ चलना चाहता था


उनके साथ चलना चाहता था
कुछ देर तक इसीलिए
ज़रूरी हर काम
कुछ समेटकर ,
कुछ छोड़कर चल दिया ।
फ़िर उनसे मासूम सा सवाल किया -
आप भी चल रही हैं ?
वो मेरी आंखो की शोधार्थी,
मुस्कुराती हुई बोली –
ज़रूरी हर काम कर लिया या फ़िर
मुझे देखकर
बस, सब छोड़कर आ गए ।
बात तो सच थी ।
काश मैं उसके लिए
ज़िंदगी भर के लिए
बस उसे देखकर
सबकुछ छोडकर जा पाता ।

ताशकंद के इन फूलों में

  ताशकंद के इन फूलों में केवल मौसम का परिवर्तन नहीं, बल्कि मानव जीवन का दर्शन छिपा है। फूल यहाँ प्रेम, आशा, स्मृति, परिवर्तन और क्षणभंगुरता ...