दो हिन्दी प्रेमी मित्रों के जुनून का परिणाम है गर्भनाल. एक दिन बात चली कि हिन्दी भाषा की वर्तमान दशा की कमियाँ गिनाने की बजाय उसकी तरफदारी में खड़े होने के लिए कुछ सार्थक काम किया जाये. परिणाम आप सभी देख रहे हैं. अपनी ज़मीन से दूर रहने वाले प्रवासी भारतीयों की आवाज को रखने के मंच के तौर पर गर्भनाल एक मंच प्रदान करने का प्रयास कर रही है. ’गर्भनाल’ अप्रवासी भारतीयों की मासिक ई-पत्रिका है जो हर महीने पीडीएफ के रूप में मुफ्त वितरित की जाती है। इसे लगभग ५० हजार ईमेल पतों पर भेजा जाता है. यह प्रयास अनवरत जारी है. दुनियाभर के हिन्दी प्रेमियों ने इसे प्रोत्साहित किया और सराहा है. इस काम के पीछे बस यही भावना काम कर रही है कि लोगों ने क्या किया की बजाय हम क्या कर सकते है को ध्यान में रखा जाय.
आप भी अगर हिन्दी प्रेमी हैं तो इस मिशन से जुड़ सकते हैं. पता है -
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