ONLINE HINDI JOURNAL
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Thursday, 17 July 2014
कि तुम्हारे क़रीब होने का एहसास बढ़ जाता है
दूर रहकर मेरी इतनी चिन्ता मत किया करो
कि तुम्हारे क़रीब होने का एहसास बढ़ जाता है ।
मेरे भी ख़्वाब हो गये अमीरों से ।
तुमसे कहता हूँ वही एक बात नए- नए तरीकों से
हाय ! भटकते फ़िरते हैं तेरे कूँचे में हम फ़कीरों से ।
तुमने तो कह दी है अपने दिल की बात लेकिन
हम सोचते हैं कि लड़ लेंगें क़िस्मत की लकीरों से ।
अब तक यूँ तो तनहा ही रहा हूँ आदतन मैं ,
तुम क्या मिले कि मेरे भी ख़्वाब हो गये अमीरों से ।
तुम जिन बातों को अधूरा छोड़ देती हो
तुम जिन बातों को अधूरा छोड़ देती हो
उन्हें पूरा - पूरा समझता हूँ ।
कहे से जादा तुम्हारे अनकहे को
अब मैं जानता हूँ ।
तुम्हारे मौन से
मेरे मन का रिश्ता है ।
तुम्हारी इन आखों में
मेरी एक दुनियाँ बस्ती है ।
मेरे यार का इक़रार अभी बाकी है ।
हमारी कोशिशों का असर अभी बाकी है
कि उनके गुरूर में कसर अभी बाकी है ।
मैं इस पड़ाव पर आकार खुश तो हूँ
पर मेरी मंजिल का सफ़र अभी बाकी है ।
मैं हूँ ख़ानाबदोश जिसकी तलाश में
वो मेरा दिलकश हमसफर अभी बाकी है ।
मैं तो कह के बैठा हूँ दिल कि बात
पर मेरे यार का इक़रार अभी बाकी है ।
Tuesday, 17 June 2014
जितना प्रेम करना जानता हूँ
जितना प्रेम करना जानता हूँ
काश उतना जताना भी जानता ।
बे वजह तुम्हारे रूठने पर,
हर बार तुम्हें मनाना भी जानता ।
जैसे तुम छिपाए रहती हो कई राज,
काश कुछ छिपाना मैं भी जानता ।
चलो छोड़ो कुछ भी नहीं और बोलो,
यह बोल, दिल जलाना मैं भी जानता ।
मेरी आवारगी में भी
मेरी आवारगी में भी, एक सलीका है
हम दिल तोड़ते हैं, पर एक तरीका है ।
तुम्हें मनाने में
छोड़ो भी कि अब, मैं ऊब सा गया हूँ
तुम्हें मनाने में ख़ुद से रूठ सा गया हूँ ।
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